विधानसभा के दूसरे दिन द्रमुक ने सदन से किया बर्हिगमन
विधानसभा के दूसरे दिन द्रमुक ने सदन से किया बर्हिगमन
चेन्नई। गुरुवार को राज्य विधानसभा सत्र के दूसरे दिन भी मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल से विधायकों के खरीद-फरोख्त के मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया जिसके बाद द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन के नेतृत्व में पार्टी के सभी विधायक विधानसभा से बर्हिगमन कर गए। विधानसभा से बाहर आने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए स्टालिन ने कहा ‘पूरे तमिलनाडु विधानसभा को इस्तीफा देना चाहिए।’’ आज फिर से मुझे विधानसभा में विधानसभा में विधायकों के स्टिंग ऑपरेशन के मुद्दे को उठाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया। जिसके विरोध में हम विधानसभा से बर्हिगमन कर गए।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के. पलानीस्वामी को टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित टेप में किए गए खुलासों पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें कुछ विधायकों ने स्वीकार किया है कि इसी वर्ष विधानसभा में पारित हुए विश्वासमत से पहले उन्हें मोटी रकम का भुगतान किया गया था। स्टालिन ने कहा कि हम विधानसभा सत्र के शेष २३ दिनों में भी इस मुद्दे को उठाएंगे। द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया है और इस उद्देश्य से राज्यपाल से मिलने के लिए समय की भी मांग है। द्रमुक के सभी सदस्यों द्वारा विधानसभा से बर्हिगमन करने के बाद कांग्रेस और मुस्लिम लीग के विधायक भी विधानसभा से बाहर चले गए लेकिन कुछ ही देर बाद वह विधानसभा में वापस भी लौट आए।विपक्षी पार्टियों के सदस्यों द्वारा विधानसभा से बर्हिगमन करने के बाद धनपाल ने समझाया कि उन्होंने विधायकों द्वारा विश्वासमत से पूर्व नकदी लेने के मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं होने दिया। उन्होंने पूर्व में विधानसभा के समक्ष आए इस प्रकार के मामलों को हवाला देते हुए इस मामले में अपने पक्ष को सही ठहराने की कोशिश की। उन्होंने वर्ष १९७२ में चौथी विधानसभा में, तत्कालीन अध्यक्ष का बयान पढा जिसमें उन्होंने कहा था, ’’विधानसभा अखबार की रिपोर्टों के आधार पर बोलने के लिए नहीं है। जहां भी सदस्यों को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए मामलों का संदर्भ देना हैं वह ऐसा केवल उसकी पूरी तरह से पुष्टि करने के बाद करें।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसी नियम का पालन १९८५, १९९६, १९९७, २०१० और २०११ में भी किया गया था। विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि उन्होंने विधानसभा में शांति सुनिश्चितत करने के लिए ४५ मिनट तक द्रमुक विधायकों को शांत कराने की कोशिश की। उल्लेखनीय है कि बुधवार को भी स्टालिन सहित द्रमुक के विधायकों ने दो निजी टीवी चैनलों द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के मुद्दे का विधानसभा में उठाने की अनुमति की मांग पर अ़डे रहने के कारण विधानसभा से बाहर कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि दो समाचार चैनलों द्वारा राज्य की सत्तारुढ अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के दो विधायकों का स्टिंग ऑपरेशन किया गया था जिसमें विधायक यह कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें दो करो़ड रुपए से छह करो़ड रुपए की पेशकश की गई थी। विधानसभा से बाहर करने के बाद विपक्षी विधायकों ने विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। स्टालिन ने इस मुद्दे की सीबीआई जांच की मांग की है।