बाबरी विध्वंस मामला: अदालत ने 32 आरोपियों को बरी करने को चुनौती देने वाली याचिका पर की सुनवाई

बाबरी विध्वंस मामला: अदालत ने 32 आरोपियों को बरी करने को चुनौती देने वाली याचिका पर की सुनवाई

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले में पुनरीक्षण याचिका पोषणीय नहीं है


लखनऊ/भाषा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में बाबरी विध्वंस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली पुनरीक्षा याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।

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सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले में पुनरीक्षण याचिका पोषणीय नहीं है, लिहाजा न्यायालय ने याचिका को अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने दिया। इस याचिका पर सुनवाई पहले 11 जुलाई को होनी थी, लेकिन वकीलों ने स्थगन का अनुरोध किया था। पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए इसे सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया, साथ ही आगाह किया था कि वह सुनवाई दोबारा स्थगित नहीं करेगी।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की अगुवाई वाली पीठ अयोध्या के दो निवासियों - हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि दोनों याची उक्त मामले में न सिर्फ गवाह थे बल्कि घटना के पीड़ित भी हैं।

गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 30 सितंबर 2020 को दिए निर्णय में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा नेता उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितंभरा और बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था।

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