दक्षिण में भी दबदबा बढ़ा सकेगी भाजपा?
जद (एस) के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उप्र चुनाव बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस भाजपा से लड़ने की ताकत खो चुकी है
नई दिल्ली/बेंगलूरु/दक्षिण भारत। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नतीजों को 2024 से जोड़कर देखा जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इसका असर आगामी लोकसभा चुनावों में दिखाई दे सकता है। इससे एक ओर जहां भाजपा खेमे में उत्साह है, वहीं कांग्रेस समेत विपक्ष में असंतोष के स्वर उठ रहे हैं।
भाजपा अब अपनी पहचान हिंदी पट्टी की पार्टी के तौर पर नहीं रखना चाहती। वह पहले से कई राज्यों में विस्तार कर चुकी है और उसकी सरकार है/रही है। दक्षिण में कर्नाटक में भाजपा की सरकार है। अब वह यहां अन्य राज्यों में कमल खिलाना चाहती है। इससे क्षेत्रीय पार्टियों में भी हलचल है। चूंकि यहां भाजपा का सीधा मुकाबला उनसे ही है।इस पर जद (एस) के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उप्र चुनाव बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस भाजपा से लड़ने की ताकत खो चुकी है। सभी क्षेत्रीय दलों का गठबंधन बनाने के लिए हमें एक राष्ट्रीय पार्टी की आवश्यकता है, जो सभी को साथ ले सके। अभी यह संभव नहीं लगता है।
उप्र चुनावों ने फेरा अरमानों पर पानी
सूत्रों की मानें तो जद (एस) में कई नेता आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर खुद को बड़ी भूमिका में, यहां तक कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करना चाहते थे लेकिन हालिया उप्र चुनाव नतीजों ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।
तमिलनाडु में द्रमुक नेताओं का मानना है कि भाजपा उनके लिए चुनौतियां खड़ी करेगी। दूसरी ओर अन्नाद्रमुक के भीतर सत्ता संघर्ष ने पार्टी को कमजोर कर दिया है। भाजपा की योजना द्रमुक विरोधी वोट को अपने पक्ष में कर जड़ें जमाना है।
द्रमुक के राज्यसभा सांसद टीकेएस एलंगोवन कहते हैं कि नीति के लिहाज से हम धार्मिक ध्रुवीकरण के खिलाफ हैं। इसलिए हम भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ते रहेंगे। चुनावी जीत से हमारी नीति नहीं बदलेगी।
तीखे तेवर, सौहार्दपूर्ण संबंध
इसी तरह तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की योजना है कि वह भाजपा के प्रति अपने तेवर तीखे रखेगी। हाल में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कई मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की कड़ी आलोचना की थी।
हालांकि युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं, लेकिन उन्हें भाजपा की आंध्र इकाई से नियमित रूप से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इस पर पार्टी के एक विधायक का कहना है कि उन्होंने हमारे नेतृत्व पर कई व्यक्तिगत हमले किए हैं। हमने इन सभी आरोपों का जवाब दिया है। प्रधानमंत्री के साथ जगन के व्यक्तिगत संबंध हैं और ये जारी रहेंगे लेकिन हम भाजपा के साथ गठबंधन नहीं कर सकते।