संत वेश में पाखंडी है शांतिसागर : तरुण सागर
संत वेश में पाखंडी है शांतिसागर : तरुण सागर
सीकर/सूरत। अपने क़डवे वचनों के लिए प्रख्यात जैन दिगम्बर संत तरुण सागर जी ने कहा है शांतिसागर संत वेश में पाखंडी है। ऐसे दुष्कर्मी को जैन समाज आदर्श नहीं मानता। तरुणसागरजी ने कहा कि किसी से एकांत में मिलना गलत नहीं है, मगर व्यवहार का ध्यान रखना जरुरी है। गौरतलब है कि सूरत में एक ल़डकी के साथ दुष्कर्म के आरोप में दिगम्बर संत शांतिसागर को पुलिस ने गिरफ्तार है और न्यायालय ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। शांतिसागर ने मेडिकल जांच के दौरान ल़डकी द्वारा लगाए गए रेप के आरोपों से इनकार किया लेकिन ४९ साल के मुनि ने कहा, उस दिन जो भी हुआ ल़डकी की रजामंदी से हुआ। डॉक्टर ने जब पूछा कि आप साधु हैं, फिर ऐसा क्यों किया? इस पर जैन मुनि ने सिर झुका लिया। शांति सागर ने मेडिकल के दौरान कहा, मैं ल़डकी को ५-६ महीने से पहचानता हूं। वह पहली बार मिलने के लिए अपने परिवार के साथ सूरत आई थी। टीमलियावाड नानपुरा धर्मशाला में ल़डकी की रजामंदी से उससे एक अक्टूबर को फिजिकल रिलेशन बनाए। शांतिसागर ने कहा कि उसने जीवन में पहली बार ऐसा किया। हालांकि मेडिकल के दौरान जरूरी सैंपल नहीं लिए जा सके। डॉक्टरों का कहना था कि शांति सागर तनाव में था इसलिए पुलिस उसे जांच के लिए बाद में लेकर आए।गौरतलब है कि दिगंबर जैन संत होने की वजह से शांतिसागर कप़डे नहीं पहनते। इसलिए पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल, कोर्ट में पेशी और जेल भेजने की प्रक्रिया के दौरान कप़डे पहनाए। जेल में शनिवार और रविवार की रात शांति सागर तनाव से जूझते रहे और करवटें बदलकर उसकी रात गुजरी। जेल कर्मियों ने बताया कि रविवार की देर शाम तक वे सोए नहीं थे। इसी प्रकार शनिवार की अल सुबह तीन बजे से पांच बजे तक लेटे थे, लेकिन सोए नहीं थे। बाकी समय वह एक ही जगह बैठे रहे। यहां तक कि खाने पीने को लेकर भी शांति सागर को परेशानी झेलनी प़डी। दरअसल जैन मुनि बिना लहसुन और प्याज का खाना खाते हैं। इसलिए शांतिसागर को बाहर का खाना देने की मांग की गई लेकिन कानूनी बाध्यता का हवाला देकर जेल प्रशासन ने उन्हें बाहर का खाना देने में असमर्थता जताई।
इस घटना के बाद जैन समाज वैचारित दृष्टि से दो वर्गों में बंट गया है। एक वर्ग कहता है कि जैन समाज की बदनामी हो रही है इसलिए इस मामले को कम से कम समाज के लोग तूल न दें जबकि दूसरा वर्ग मानता है कि ऐसी गंदी मछलियों के कारण ही पूरा समाज बदनाम होता है। समाज में जागृति के लिए इस घटना की अधिकाधिक लोगों तक जानकारी पहंुचनी जरुरी है।शांतिसागर का असली नाम गिरिराज है। वह २२ साल की उम्र में मंदसौर में जैन संतों के संपर्क में आ गया। प़ढाई बीच में छो़ड गिरिराज ने दीक्षा ली और शांतिसागर महराज बन गए। अब बलात्कार का आरोप लगने के बाद पुलिस का कहना है कि जल्द ही शांति सागर के सामान्य स्थिति में आने पर उसकी पौरुषत्व जांच की जाएगी। इस जांच में यह तय होगा कि वह शारीरिक संबंध बनाने लायक है या नहीं। हालांकि शांतिसागर ने कथित रूप से स्वीकार लिया है कि उसने ल़डकी की सहमति से संबंध बनाए थे जबकि ल़डकी ने जबरन यौन उत्पी़डन का आरोप लगाया है।