पार्टी में टूट के डर से गुजरात कांग्रेस ने अपने 40 विधायकों को भेजा बेंगलूरु
पार्टी में टूट के डर से गुजरात कांग्रेस ने अपने 40 विधायकों को भेजा बेंगलूरु
बेंगलूरु। गुजरात मेंे कांग्रेस के विधायकों का पार्टी से मोह भंग हो रहा है और पिछले दो दिनों में आधा दर्जन से अधिक विधायकों के पार्टी छो़डने के बाद कांग्रेस को पार्टी में टूट होने का डर सता रहा है। ८ अगस्त को गुजरात में राज्यसभा चुनाव होने वाला है और ऐसे में कांग्रेस छो़डकर विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से कांग्रेस की चिंताएं बढ गई है। इसे ध्यान में रखते हुए गुजरात के कांग्रेस विधायकों को कर्नाटक भेजना शुरु कर दिया गया है। शनिवार की सुबह बेंगलूरु हवाईअड्डे पर गुजरात के ४० कांग्रेस विधायक पहुंचे। कांग्रेस के यह विधायक दो समूहों में बेंगलूरु पहुंचे। ३१ विधायकों का समूह अहमदाबाद से बेंगलूरु पहुंचे और नौ विधायकों के दल को राजकोट से बेंगलूरु आने वाले विमान से यहां पहुंचाया गया। कांग्रेस के पार्टी सूत्रों के अनुसार सात विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के सभी विधायकों को एकसाथ रखने तथा भाजपा द्वारा कथित तौर पर विधायकों की खरीदफरोख्त को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के प्रमुख व्हीप शैलेष परमार ने यह दावा किया कि पार्टी के ४० विधायकों को बेंगलूरु स्थानांतरित किया जा चुका है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस को गुजरात के कांग्रेसी विधायकों को बेंगलूरु लाने का निर्देश दिए जाने के बाद कर्नाटक से कांग्रेस के लोकसभा सांसद डीके सुरेश ने विधायकों को गुजरात से बेंगलूरु लाने का बंदोबस्त किया। हालांकि डीके सुरेश ने इस संबंध में पत्रकारों से कहा कि गुजरात के कांग्रेस के विधायक दर्शनीय स्थलों को देखने पहुंचे हैं। यह सभी विधायक बेंगलूरु के दर्शनीय स्थलों को देखेंगे और तिरुपति मंदिर भी जाएंगे।ज्ञातव्य है कि कांग्रेस के मौजूदा समय में अपने गुजरात के विधायकों को अपने पास सुरक्षित रखना आवश्यक है। ऐसा करने पर ही ८ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में सोनिया गांधी के करीबी अहमद पटेल को राज्यसभा में भेजने के लिए उनकी जीत सुनिश्चित की जा सकेगी। कांग्रेस के सात विधायकांे के पार्टी छो़डकर भाजपा के साथ मिलने के बाद भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बृहस्पतिवार को भाजपा में शामिल हुए पूर्व कांग्रेस विधायक बलवंत सिंह राजपूत को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।अहमदाबाद और राजकोट से आने वाले सभी विधायकों के बेंगलूरु पहुंचने के बाद उन्हें तुरंत शहर के बाहरी सीमा में स्थित ईंगलटन रिसोर्ट पर ले जाया गया। इन सभी विधायकों को राज्य के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा बस से रिसोर्ट तक ले जाया गया। सभी विधायकों के रविवार को तिरुपति जाने की संभावना है। रिसोर्ट के बाहर चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। ब़डी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया है। वहीं अहमदाबाद में गुजरात प्रदेश कांग्रेस प्रमुख भरत सोलंकी ने कहा कि भाजपा गंदी राजनीति कर रही है। सोलंकी ने बीती रात संवाददाताओं से कहा, यह (भाजपा) धन, बल और सरकार की ताकत से हमारे विधायकों को लुभा रही है। इस तरह की परिस्थितयों में हमारे विधायकों ने फैसला किया कि हमें एकजुट रहना चाहिए और इसीलिए वे बेंगलूरु गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को धन बल की ताकत से शिकार बनाए जाने के खिलाफ निर्वाचन आयोग को भाजपा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करना चाहिए। गुजरात कांग्रेस के महासचिव निशित व्यास ने कहा कि कांग्रेस ने अपने ४४ विधायकों को बेंगलूरु पहुंचा दिया है। व्यास भी विधायकों के साथ बेंगलूरु में हैं। उन्होंने दावा किया, यह विधायकों की सुरक्षा के लिए है जिन्हें धमकी दी जा रही है कि यदि वे पाला बदलने पर सहमत नहीं हुए….इसीलिए हमने उन्हें बेंगलूरु लाने का फैसला किया। मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने कांग्रेस के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा, यह कांग्रेस की आंतिरक समस्या है क्योंकि इसके नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला, इसके मुख्य सचेतक बलवंत सिंह राजपूत और प्रवक्ता तजेश्रीबेन पटेल इसलिए अलग हुए क्योंकि उन्होंने परेशानी झेली। उन्होंने राजकोट में कहा, वे अपने विधायकों को बेंगलूरु ले गए हैं क्योंकि उन्हें अपने विधायकों पर विश्वास नहीं है। जारी कांग्रेस विधायकों के एक तबके ने कहा कि सात विधायकों ने उनके साथ बेंगलूरु नहीं जाने का फैसला किया। इन सात में वाघेला, जो पहले ही पार्टी छो़ड चुके हैं, और उनके विधायक पुत्र महेंद्र सिंह वाघेला शामिल हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि बेंगलूरु को इसलिए चुना गया क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है।