इसरो में उपग्रह एसेंबली में निजी क्षेत्रों की सहभागिता की शुरुआत
इसरो में उपग्रह एसेंबली में निजी क्षेत्रों की सहभागिता की शुरुआत
बेंगलूरु। ३१ अगस्त को जब भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस१एच या नाविक) का आठवां उपग्रह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होगा तब यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में निजी क्षेत्र की सहभागिता की भी शुरुआत करेगा जो उपग्रहों की एसेंबली और उसके प्रक्षेपण में भागीदार बनेंगे। यह इसरो के लिए एक विशाल छलांग होगी जो उपग्रह एसेंबली और उसके घटकों, प्रणालियों और उप प्रणालियों की खरीद को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करने वाली होगी। नाविक श्रंृखला में प्रक्षेपित किए जाने वाले इस आठवें उपग्रह का वजन १४२५ किलोग्राम है जो आईआरएनएसएस श्रृंखलाओं के सात अन्य उपग्रहों के समान है। पीएसएलवी-सी ३९ के साथ इसका प्रक्षेपण होगा।आईआरएनएसएस१एच को अल्फा डि़जाइन टेक्नोलॉजीज की अगुवाई वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों के एक कंसोर्टियम, जो ७० इंजीनियरों और तकनीशियनों की एक टीम है, द्वारा पिछले छह महीनों में एसेंबल, परीक्षण और लांच के तैयार किया गया है। इसमें शामिल अन्य कंपनियों में तीन बेंगलूरु की और मैसूरु तथा हैदराबाद की एक एक कंपनी शामिल है। इसरो की योजना अगले एक वर्ष के दौरान करीब एक दर्जन उपग्रहों के प्रक्षेपण की है और इस मकसद को हासिल करने के लिए इसरो ने निजी क्षेत्र की भागीदारी लेने का निर्णय लिया है जिसमें आईआरएनएसएस१एच पहला उपग्रह है जो निजी क्षेत्र की भागीदारी से निर्मित है। हालांकि इसरो के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फिलाहल इस उपग्रह में केवल २५ प्रतिशत काम ही निजी क्षेत्र द्वारा प्राप्त हुए हैं लेकिन अगले वर्ष अप्रैल में प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रहे आईआरएनएसएस -१आई के प्रक्षेपण में निजी क्षेत्र के योगदान को ब़ढाकर ९० प्रतिशत के बराबर किया सकता है। अल्फा डि़जाइन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन कर्नल एचएस शंकर ने कहा कि यह उनकी कंपनी के लिए एक गौरव क्षण है क्योंकि इसरो के अत्यंक सटीक और उच्च कौशल के विशाल कार्य में हम भागीदार बने हैं। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में इसरो टेक्नोक्रेट्स द्वारा हमारा हाथ पक़डने से संभव हुआ क्योंकि हमारे इंजीनियरों और तकनीशियनों ने इसरो के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में घटकों और प्रणालियों को एसेंबल करने में सफलता पाई। उन्हांेने कहा कि इसरो ने संचार और रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट बनाने के लिए कुछ और प्रस्ताव भेजे हैं और हमारी कंपनी को भरोसा है कि हम अपने विशेष कौशल और इसरो की पहली परियोजना को पूर्ण करने से अर्जित अनुभव के आधार पर इस ऑर्डर को हासिल करेंगे। इसरो के पीएसएलवी सी३९ का प्रक्षेपण ३१ अगस्त को १८५९ बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से होगा।