शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिक पीएसएलवी की श्रेष्ठता वापस लाने के पक्ष में
शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिक पीएसएलवी की श्रेष्ठता वापस लाने के पक्ष में
हैदराबाद। भारत के शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने पीएसएलवी की श्रेष्ठता फिर से स्थापित करने के मुद्दे पर इसरो का समर्थन किया है, लेकिन यह भी माना है कि गुरुवार की विफलता चिंता का विषय एवं दुखद है क्योंकि इस रॉकेट का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। आत्मसंतुष्टि के विरुद्ध चेताते हुए उन्होंने इसरो से दिल छोटा नहीं करने की अपील की और फिर से सरपट दौ़डने की उसकी काबिलियत पर विश्वास प्रकट किया।प्रतिस्थापन नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस को ले जा रहा पीएसएलवी -सी ३९ मिशन गुरुवार को विफल हो गया था। इसरो ने कहा कि पीएसएलवी -सी ३९ सामान्य ढंग से रवाना हुआ था और उ़डान संबंधी प्रक्रिया योजना के अनुसार पूरी हुई थीं, बस उष्मा कवच पृथक्कर को छो़डकर। इसरो के पूर्व अध्यक्ष केके कस्तूरीरंगन ने कहा कि पहले भी यह अंतरिक्ष एजेंसी असफल मिशनों से गुजरी है, खासकर शुरुआती दौर में। उन्होंने कहा, ‘हर बार हमने दोगुने दम-खम के साथ वापसी की तथा यह पक्का किया कि न केवल यह विफलता फिर से न हो बल्कि ऐसी चीजों की संभावना घटकर न्यूनतम हो जाए।’’ उन्होंने कहा, लेकिन अंतरिक्ष अवश्य ही जोखिमों से भरा उद्यम है। अतएव, व्यक्ति को गुजाइंश तो रखनी ही होती है। व्यक्ति को आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए, अपने हिसाब से सर्वश्रेष्ठ कीजिए और बाकी विधाता पर छो़ड दीजिए क्योंकि हर चीज, जिसे हम पूरी तरह दुरुस्त कहते हैं, करने के बाद भी थो़डी-बहुत गुजाइंश बनी रहती है। कुछ ऐसी चीजें हंै जो छूट गई हो सकती हैं। अतएव हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। कस्तूरीरंगन ने कहा, ‘पीएसएलवी के संदर्भ में हमारी ढेरों असाधारण सफलताएं हैं अतएव, यह अधिक दुखद है क्योंकि जब भी हम पीएसएलवी का प्रक्षेपण करते हैं हम शत-प्रतिशत सफलता की उम्मीद करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें कोई संदेह नहीं है कि इसरो पूरे दम-खम के साथ और अधिक संकल्प के साथ वापसी करेगा।इसरो के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा, ‘पीएसएलवी का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। उसने करीब ४० उ़डानें भरी हैं। अब यह विफलता हजम नहीं होती, लेकिन विफलता असामान्य बात नहीं है। यदि आप वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालते हैं तो अपने को साबित कर चुके प्रक्षेपण यानों की पांच से दस फीसद तक विफलता दर है। उसकी तुलना में हमारी चालीस में बमुश्किल एक है। यह है हमारा रिकार्ड। लेकिन हम आंक़डों से खुश नहीं हो सकते। हमें उसकी फिक्र तो करनी होगी ही।’’ उन्होंने कहा कि मुझे पक्का विश्वास है कि इसरो टीम यह ढूंढ पाएगी कि यह विफलता क्यों और कैसे हुई और शीघ्र ही प्रक्षेपण स्थल पर लौटेगी। यह इसरो की संस्कृति रही है। इसरो टीम को मेरा संदेश है कि वे मन छोटा न करें, विफलता से सबक लेकर कठिन परिश्रम करें और कमी दूर करें। इसरो के एक अन्य अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने ट्विट किया, ‘टीम इसरो। पीएसएलवी सी-३९ के नतीजे से मन छोटा मत कीजिए। अंदरुनी ताकत पीएसएलवी की श्रेष्ठता फिर वापस ले आएगी।’’