इन 2 भारतीयों ने रोशन किया देश का नाम, मिलेगा प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार

इन 2 भारतीयों ने रोशन किया देश का नाम, मिलेगा प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार

Sonam Wangchuk (Left) and Bharat Vatwani (Right)

उनकी अनूठी शिक्षण तकनीक के कारण विद्यार्थियों की सफलता का आंकड़ा तेजी से बढ़ा। नब्बे के दशक में जहां परीक्षाएं पास करने वाले विद्यार्थी करीब 5 प्रतिशत होते थे, अगले बीस वर्षों में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत तक जा पहुंचा।

मनीला। इस साल प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुने गए लोगों में दो भारतीय भी हैं। मैग्सेसे जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है, के लिए भारत से डॉ. भरत वटवानी और सोनम वांगचुक का चयन किया गया है। भरत वटवानी समाजसेवी हैं। वे सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों का इलाज करते हैं। इसके अलावा वे उन्हें परिवार से मिलाने में मदद करते हैं। सोनम वांगचुक शिक्षा के क्षेत्र से हैं। उन्हें यह पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदान किया जाएगा।

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मैग्सेसे फाउंडेशन द्वारा इस घोषणा के बाद विजेताओं को देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। डॉ. भरत और वांगचुक ने देश का नाम रोशन किया है। डॉ. भरत कई वर्षों से बेसहारा रोगियों का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ एक क्लिनिक शुरू किया, जिसमें वे अब तक हजारों ऐसे लोगों को नई ज़िंदगी दे चुके हैं जो मानसिक रूप से अस्वस्थ और बेसहारा हैं।

डॉ. भरत ऐसे कई लोगों को उनके परिजनों से मिलवा चुके हैं जो बिछड़ चुके थे। उन्होंने ऐसे मरीजों के लिए भोजन, आवास, चिकित्सा आदि के लिए संस्थान शुरू किया। बाद में काफी लोग उनके साथ इस मुहिम से जुड़े। अब मैग्सेसे फाउंडेशन ने भी उनके सेवाभाव को सम्मान दिया है।

सोनम वांगचुक ने शिक्षा के क्षेत्र में जबर्दस्त सकारात्मक बदलाव किए हैं। उन्होंने 1988 में इंजीनियरिंग की डिग्री ली, लेकिन उनका मन तो सदैव शिक्षा संबंधी प्रयोगों में ही लगा रहता था। उन्होंने स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की शुरुआत की। इसके जरिए उन्होंने स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया। वे न केवल विद्यार्थियों, बल्कि शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दे चुके हैं।

उनकी अनूठी शिक्षण तकनीक के कारण विद्यार्थियों की सफलता का आंकड़ा तेजी से बढ़ा। नब्बे के दशक में जहां परीक्षाएं पास करने वाले विद्यार्थी करीब 5 प्रतिशत होते थे, अगले बीस वर्षों में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत तक जा पहुंचा। पुरस्कार विजेताओं को 31 अगस्त को मनीला में सम्मानित किया जाएगा।

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