ऐसे जानिए, अगर भारत ने घुसपैठियों को न निकाला तो भविष्य में कैसे होंगे हालात
ऐसे जानिए, अगर भारत ने घुसपैठियों को न निकाला तो भविष्य में कैसे होंगे हालात
नई दिल्ली। वर्तमान में दो शब्द गूगल पर बहुत ज्यादा सर्च किए जा रहे हैं— एनआरसी और बांग्लादेशी। अब तो इस पर सियासी बहस तेज हो रही है जिसे देखते हुए यकीनन यह कहा जा सकता है कि आगामी चुनावों तक मुद्दा जोरशोर से छाया रहेगा। एनआरसी ने अभी तक किसी को घुसपैठिया नहीं कहा है। जिन 40 लाख लोगों का जिक्र किया जा रहा है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का मौका दिया जाएगा। पर मामला इतना भर नहीं है। अगर एनआरसी मसौदा 40 लाख की बात करता है, तो इसमें कोई संशय नहीं कि घुसपैठियों की संभावित संख्या बहुत ज्यादा होगी। भारत के वास्तविक नागरिकों के अलावा जो लोग बाहर से आए हैं, यदि उन्हें समय रहते बाहर नहीं निकाला तो भविष्य में हमें इन गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
1. अवैध रूप से आए लोग जहां रहते हैं, वे सबसे पहले उस स्थान पर रहने वाले मूल निवासियों के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहां का जनसंख्या संबंधी तालमेल बिगड़ जाता है। ऐसे में स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा होता है। उनसे किसी बात को लेकर टकराव पैदा होता है। कालांतर में वे स्थान के मूल निवासियों की जमीन, रोजगार, सुरक्षा तथा संस्कृति के लिए गंभीर संकट पैदा कर देते हैं।2. अक्सर देखा गया है कि अवैध रूप से आए लोग कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन जाते हैं। चूंकि इनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता, इसलिए कई लोग अपराध प्रवृत्ति के कारण चोरी, लूट, डकैती और कई बार तो दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में लिप्त हो जाते हैं। देश में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं।
3. घुसपैठियों में शिक्षा का स्तर अत्यंत न्यून होता है। प्राय: ये परिवार नियोजन नहीं अपनाते और न ही उनके पास जीवन की बेहतरी के लिए कोई योजना होती है। इस वजह से ये अर्थव्यवस्था पर बोझ बन जाते हैं। कालांतर में ये चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं और अपने स्वार्थों के लिए कुछ राजनीतिक दल इन्हें अपना वोटबैंक बना लेते हैं।
4. अवैध घुसपैठिए देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर संकट साबित हो सकते हैं। समाचारों में ऐसी कई रिपोर्ट का उल्लेख किया जाता रहा है जिसमें बताया गया कि घुसपैठियों के रूप में आतंकी संगठन अपने एजेंट भेज सकते हैं। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से कई लोगों ने घुसपैठ की जो बाद में तालिबान के इशारों पर काम कर धमाके करने लगे। इसी प्रकार मध्य-पूर्व से जो लोग घुसपैठ कर यूरोप गए, वहां उनका स्थानीय लोगों से टकराव हुआ। जिन देशों से कभी आतंकवाद की खबरें नहीं आती थीं, बाद में वहां धमाके होने लगे। इसलिए भारत को इन तमाम घटनाओं से सबक लेते हुए अपने नागरिकों के सुरक्षित वर्तमान एवं बेहतर भविष्य के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
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