अब मगरमच्छों के आतंक से खौफजदा है चंबल घाटी
अब मगरमच्छों के आतंक से खौफजदा है चंबल घाटी
इटावा। कभी खूंखार डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात चंबल घाटी में इन दिनों मगरमच्छ के आतंक से खौफजदा है। घि़डयाल, मगरमच्छ और डाल्फिन जैसे हजारों दुर्लभ जलचरों के संरक्षित करने में जुटी चंबल नदी में पाए जाने वाले मगरमच्छ अब नरभक्षी हो चुके हैं। मगरमच्छों के बढते आंतक के कारण चंबल नदी के बसर करने वाले गांव वालों में खासी दहशत देखी जा रही है।हाल ही में चंबल नदी में नहाने गई नीरज नामक एक ल़डकी को मगरमच्छ ने अपना निवाला बना लिया। मां उर्मिला ने बताया कि नीरज और अन्य लोग चंबल नदी में नहा रहे थे कि अचानक एक मगरमच्छ ने नीरज (१९) को जक़ड लिया। नीरज मगरमच्छ के साथ ही पानी में समा गई। ल़डकी के पिता शिवराम सिंह चौहान ने घटना की जानकारी पुलिस को दी। ऐसा माना जा रहा है कि ल़डके के शरीर को मगरमच्छ पूरी तरह से खा गए इसलिए चंबल नदी में काफी खोजबीन के बाद भी शव का कोई हिस्सा नहीं मिल सका है।चंबल सेंचुरी के जिला वनाधिकारी (डीएफओ) डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि घटना की जानकारी उनके संज्ञान में आई है। सेंचुरी विभाग के अफसरो को सक्रिय कर दिया गया है। पटेल ने बताया कि वर्ष २०१४ में भरेह इलाके के पर्थरा गांव के पास रहने वाला १२ साल का किशोर प्रदीप मल्लाह अपने कई दोस्तों के साथ चंबल नदी में नहा रहा था। इस बीच, एक मगरमच्छ ने उसको दबोच लिया। मगर के हमले के बाद प्रदीप के साथी बदहवास चंबल नदी के किनारे जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगे। उसके बाद कई लोगों ने जुट कर प्रदीप को खोजने की कवायद की लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा। करीब २४ घंटे बाद उसका शव क्षत विक्षत हालात में चंबल नदी से बरामद हुआ था। प्रदीप के शरीर पर मगर के दांतों के आधा दर्जन से अधिक ब़डे-ब़डे धाव देखे गए। इससे पहले चंबल नदी के किनारे बसे बिठौली क्षेत्र के ग्राम पुराखे़डा निवासी रामप्रकाश उर्फ ब़डे बिहार गांव के नजदीक बकरियों के चराते समय एकाएक गायब हो गए तो लोगों ने उनकी खोजबीन की तो हालात देख अंदाजा लगाया गया कि उनको मगरमच्छ निगल गया।पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजर्वेशन ऑफ नेचर के सचिव संजीव चौहान का कहना है कि चंबल नदी में लगभग ४० वर्ष तक की उम्र के मगरमच्छ और घि़डयाल देखे गए हैं। इनका विशालकाय शरीर देखकर ही आम आदमी के होश उ़ड जाते हैं। ज्यादा तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि आम आदमी तो उनके लिए कुछ भी नहीं है। यदि गहरे पानी में मगरमच्छ को हाथी भी मिल जाए तो शायद वह भी जिंदा नहीं निकल सकता। इंसान तो इसांन जानवर भी मगरमच्छों से परेशान हैं।उन्होंने बताया कि बिहार गांव निवासी साधूराम का एक भैंसे को मगरमच्छ ने नदी में पानी पीते समय दबोच लिया जब ग्रामीणों के द्वारा उसके उपर पत्थर मारे गए, तब उसने ब़डी मुश्किल से भैंसा को छो़डा था। इस दौरान भैंसा के शरीर पर कई गहरे दांतों के निशान भी देखे गए थे। उपरोक्त वाकए से मालूम होता है कि अब किसी भी समय कहीं पर भी चंबल नदी में नहाना खतरे से खाली नहीं है। चंबल नदी में न नहाने में ही सभी की भलाई है। चौहान ने बताया कि इटावा के पास खेडाराठौर गांव के आसपास चंबल नदी खे़डा राठौर के महुआशाला गांव में करीब ४० वर्षीय हीरा सिंह भे़ड-बकरियां चराने बीह़ड में गए थे। बताया गया है कि चारा खिलाने के बाद हीरा सिंह पशुओं को नहलाने चंबल नदी में उतर गए।