निर्भया मामला: दोषी मुकेश ने दया याचिका खारिज होने की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध किया

निर्भया मामला: दोषी मुकेश ने दया याचिका खारिज होने की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध किया

निर्भया मामले में दोषी मुकेश

नई दिल्ली/भाषा। वर्ष 2012 में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में मौत की सजा पाए दोषियों में से एक ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर कर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध किया है। अर्जी दोषी मुकेश कुमार सिंह (32) की ओर से दायर की गई है जिसकी दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गत 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। मुकेश कुमार की ओर से अर्जी अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दायर की।

Dakshin Bharat at Google News
ग्रोवर ने कहा, जिस तरह से दया याचिका खारिज की गई है, उसकी न्यायिक समीक्षा के लिए अर्जी अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है। उन्होंने कहा कि शत्रुघ्न चौहान प्रकरण में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन मानकों में ऐसे कैदी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने की अनिवार्यता भी शामिल है। 2014 के इस फैसले में कहा गया था कि जेल अधिकारियों के लिए ऐसे कैदी को एक सप्ताह के भीतर आवश्यक दस्तावेज की प्रतियां उपलब्ध कराना जरूरी है।

चारों दोषियों को एक फरवरी सुबह छह बजे फांसी देने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया गया है। मुकेश ने अपनी दोषसिद्धि और फांसी की सजा के खिलाफ सुधारात्मक याचिका दायर की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मुकेश ने दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने मुकेश की सुधारात्मक याचिका खारिज करने के साथ ही इस मामले में फांसी की सजा पाए अन्य दोषी अक्षय कुमार (31) की सुधारात्मक याचिका भी खारिज कर दी थी।

दो अन्य दोषियों पवन गुप्ता (25) और विनय कुमार शर्मा ने अभी तक उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है। 23 वर्षीया पैरामेडिकल छात्र से 16 और 17 दिसंबर, 2012 की दरम्यानी रात को छह व्यक्तियों द्वारा चलती बस में सामूहिक बलात्कार एवं बेरहमी से हमला किया गया था और उसे बाद में दक्षिणी दिल्ली में बस से फेंक दिया गया था। उसे सिंगापुर के अस्पताल ले जाया गया था जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी।

इससे पहले दिन में दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के दोषियों के वकील की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अर्जी पर आगे किसी दिशा-निर्देश की आवश्यकता नहीं है। वकील ने याचिका में आरोप लगाया था कि जेल के अधिकारी वे दस्तवेज मुहैया नहीं करा रहे हैं जो दया तथा सुधारात्मक याचिकाएं दायर करने के लिए जरूरी हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार जैन ने कहा कि दोषियों के वकील तिहाड़ जेल के अधिकारियों से संबंधित दस्तावेज, पेंटिंग और डायरी की तस्वीरें ले सकते हैं।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News