निर्भया मामला: दया याचिका खारिज होने के खिलाफ अपील नामंजूर होने के बाद मुकेश के पास कोई रास्ता नहीं

निर्भया मामला: दया याचिका खारिज होने के खिलाफ अपील नामंजूर होने के बाद मुकेश के पास कोई रास्ता नहीं

निर्भया मामले में दोषी मुकेश

नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अपील बुधवार को खारिज कर दी और कहा कि इस पर ‘त्वरित विचार’ का यह अर्थ नहीं निकलता कि इसमें राष्ट्रपति ने सोच-विचार नहीं किया।

न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया और 2012 के निर्भया कांड के दोषी मुकेश के लिए अब कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है। हालांकि तीन अन्य दोषियों पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के पास अब भी विकल्प बचे हैं। उनकी सुधारात्मक याचिका शीर्ष अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद ही वे राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल कर सकते हैं।

अक्षय ने बुधवार को शीर्ष अदालत में सुधारात्मक याचिका दाखिल की है जो अदालत में अंतिम विकल्प है। इस पर गुरुवार को सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत विनय की सुधारात्मक याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है और चौथे दोषी पवन ने अभी सुधारात्मक याचिका दाखिल नहीं की है।

शीर्ष अदालत ने आज मुकेश की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामले में अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों, दोषी की आपराधिक पृष्ठभूमि, उसके परिवार की आर्थिक हालत समेत सभी दस्तावेजों पर राष्ट्रपति ने विचार किया और इसे खारिज किया। पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत पारित आदेश की न्यायिक समीक्षा की मांग के लिए जेल में कथित रूप से पीड़ा सहने को आधार नहीं बनाया जा सकता।

पीठ ने कहा, परिणाम स्वरूप हमें याचिकाकर्ता (मुकेश) की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश के न्यायिक पुनर्विचार के लिए कोई आधार नजर नहीं आता और यह याचिका खारिज होने के लायक है। उन्होंने ने कहा कि निचली अदालत, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय मामले में पहले ही डीएनए और ओडोंटोलॉजी रिपोर्ट, मृत्यु पूर्व बयान, केस डायरी और आरोपपत्र समेत सभी दस्तावेजों पर विचार कर चुके हैं और मुकेश की दलील को पहले ही खारिज किया जा चुका है।

इससे पहले, दोषी मुकेश कुमार सिंह की ओर से उसके वकील ने दावा किया था कि उसकी दया याचिका पर विचार के समय राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गए। पीठ ने केन्द्र द्वारा मंगलवार को पेश की गई दो फाइलों का जिक्र करते हुए कहा कि 15 जनवरी को दिल्ली सरकार द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए पत्र के अनुसार सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश किए गए।

पीठ ने कहा, राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सभी दस्तावेजों पर गौर किया। पीठ ने दोषी के वकील की दलीलों पर भी गौर किया, जिसमें कहा गया था कि दया याचिका जल्दबाजी में खारिज की गई। इस पर पीठ ने कहा कि अगर दया याचिका शीघ्र भी खारिज की गई तो ऐसा माना नहीं जा सकता कि पूर्व-निर्धारित सोच के आधार पर निर्णय लिया गया।

दिल्ली में दिसम्बर 2012 में हुए इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों- मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के आदेश पर अमल के लिए आवश्यक वारंट जारी किए थे।

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