गुजरात चुनाव के बाद 15 दिसंबर से शीतकालीन सत्र
गुजरात चुनाव के बाद 15 दिसंबर से शीतकालीन सत्र
नई दिल्ली। संसद सत्र में विलंब को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचना झेल रही सरकार ने शुक्रवार को आखिरकार शीतकालीन सत्र १५ दिसम्बर से बुलाने की आधिकारिक घोषणा कर दी जिसमें तीन अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक लाए जाएंगे और तीन तलाक पर लगी रोक को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी विधेयक पेश किया जाएगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की सुबह यहां हुई बैठक हुई जिसमें शीतकालीन सत्र १५ दिसम्बर से पांच जनवरी तक बुलाने का निर्णय लिया गया। संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि शीतकालीन सत्र में १४ बैठकें होंगी जबकि २५ और २६ दिसम्बर को दो दिन क्रिसमस का अवकाश रहेगा। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान तीन अध्यादेशों वस्तु एवं सेवा कर(राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक , दिवाला और दिवालिया संहिता (संशोधन)अध्यादेश २०१७ और भारतीय वन (संशोधन) अध्यादेश २०१७ के स्थान पर विधेयक लाए जाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि तीन तलाक पर लगी रोक को कानूनी जामा पहनाने तथा और राष्ट्रीय पिछ़डा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में भी संसद जल्द से जल्द कानून बनाए। सरकार इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों की राय से इत्तेफाक रखती है और वह इस मांग को पूरा करेगी। इस पर सफाई देते हुए अनंत कुमार ने कहा कि शीतकालीन सत्र को दिसम्बर में बुलाया जाना कोई असाधारण बात नहीं है और चुनावों के कारण पहले भी संसद सत्र की तारीख आगे पीछे की जाती रही है। विभिन्न सरकारों ने अलग-अलग समय पर इस तरह के निर्णय लिए हैं। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से महत्वपूर्ण विधेयकों पर सार्थक तथा रचनात्मक चर्चा की अपील की तथा दोनों सदनों के सुचारू संचालन में सहयोग का अनुरोध किया। संसद सत्र में विलंब को लेकर विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में सत्र को टाला जा रहा है। उसका कहना है कि सरकार गुजरात चुनाव से पहले संसद में विभिन्न सवालों पर विपक्ष का सामना करने से बच रही है।