उद्यमिता के लिए माहौल बनाएं

भारतीय युवा गूगल जैसी कंप​नी क्यों नहीं बना सकते?

उद्यमिता के लिए माहौल बनाएं

अमेरिका का इकोसिस्टम प्रतिभाशाली लोगों की मदद करता है

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा द्वारा एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में युवाओं से किया गया यह आह्वान अत्यंत प्रासंगिक है कि वे भारत में गूगल जैसी कंपनियां स्थापित करें। विद्यार्थियों को महान लक्ष्य बनाने और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर युवा यह ठान लें कि हमें भारत को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है तो वे ऐसा जरूर कर सकते हैं। लेकिन ऐसा होगा कैसे? बेशक भारतीय युवा बहुत बुद्धिमान, मेहनती और प्रतिभाशाली हैं। आज वे अमेरिका में बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ बन रहे हैं। वे भारत में रहकर ऐसी कंपनियां क्यों नहीं बना सकते? इसकी कई वजह हैं, जिनकी ओर समाज और सरकार, दोनों को ध्यान देना होगा। अमेरिका का इकोसिस्टम ऐसा है कि वहां प्रतिभाशाली एवं मेहनती व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। वहां जोखिम लेने को स्वीकार किया जाता है। अगर व्यक्ति को एक-दो कोशिशों में असफलता भी मिले तो यह माना जाता है कि उसने कुछ नया सीखा है। किसी के स्टार्टअप को निवेश की जरूरत पड़ती है तो उसका इंतजाम करना मुश्किल नहीं होता है। वहां सरकारों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों की ओर से सहयोग मिलता है। भारत में करोड़ों युवाओं के जीवन का लक्ष्य किसी तरह कोई भी सरकारी नौकरी हासिल करना है। परिवारों और समाज ने उनके दिलो-दिमाग में यह बात दृढ़ता से बैठा दी है कि अगर पढ़-लिखने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली तो सारी मेहनत व्यर्थ गई। दिल्ली, जयपुर, पटना, लखनऊ, प्रयागराज जैसे शहरों में ऐसे कई इलाके हैं, जहां लाखों युवा वर्षों तक इस उम्मीद के साथ 'तैयारी' करते रहते हैं कि बस, एक सरकारी नौकरी मिल जाए! हाल में एक राज्य में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भर्ती परीक्षा में बीटेक, एमटेक, एमबीए, पीएचडी धारी युवा शामिल हुए थे। क्या हम ऐसे गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां बना सकते हैं?

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पिछले कुछ वर्षों में डिजिटलीकरण की वजह से कई काम आसान हुए हैं, लेकिन अभी सुधार की काफी गुंजाइश है। सरकारी कामों की प्रक्रिया बहुत धीमी है। उसमें भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। अगर आज किसी सामान्य किसान का बेटा गेहूं-बाजरा पीसने के लिए गांव या नजदीकी कस्बे में चक्की लगाए तो उसे बिजली कनेक्शन लेने के लिए ही बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे। अगर वह साथ में खानपान से संबंधित कोई प्रतिष्ठान खोलना चाहे तो कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका में ये काम बहुत आसानी से हो जाते हैं। चीन ने भी इस तरीके को अपनाया है, इसलिए दुनियाभर के उद्यमी वहां जाते हैं और उसके माहौल की सराहना करते हैं। क्या भारत में युवा उद्यमियों के लिए अनुकूल माहौल नहीं बनाया जा सकता? बिल्कुल बनाया जा सकता है, बस समाज और सरकार को कुछ कदम उठाने होंगे। यह सोच बदलनी होगी कि जीवन का एकमात्र लक्ष्य सरकारी नौकरी प्राप्त करना है। युवाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उद्योग लगाने वाले युवा भी सम्मान के हकदार हैं। वे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान देते हैं। समाज को उनका सहयोग करना चाहिए। वहीं, सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन अवरोधों को हटाए, जो उद्योग लगाने में बाधा बनते हैं। भ्रष्टाचारियों को कठोर दंड देना चाहिए, क्योंकि वे युवाओं का मनोबल तोड़ते हुए देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे उद्यमियों की मिसाल पेश करनी चाहिए, जिनकी शुरुआत सामान्य रही, लेकिन उन्होंने बहुत उन्नति की। जिस दिन युवाओं को अनुकूल माहौल मिलेगा, सरकारी तंत्र उनकी मदद करेगा, तो भारत में भी बड़ी कंपनियों की कतारें लगनी शुरू हो जाएंगी।

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