प. बंगाल: राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुरू होगा एसआईआर

अभिषेक बनर्जी ने भाजपा पर 'चुपचाप धांधली' करने का आरोप लगाया

प. बंगाल: राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुरू होगा एसआईआर

Photo: @ECISVEEP X account

कोलकाता/दक्षिण भारत। पश्चिम बंगाल में मंगलवार से शुरू होने वाला मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) एक राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है, जहां भाजपा और चुनाव आयोग इसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में प्रचारित कर रहे हैं, वहीं तृणकां साल 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जमीनी स्तर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रही है।

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मतदाता सूची संशोधन का कार्य राज्य में साल 2002 में किए गए इसी प्रकार के कार्य के बाद शुरू होगा।

भाजपा ने जहां मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एसआईआर का स्वागत किया है। वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग (ईसी) अगले साल राज्य में होने वाले चुनावों से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।

बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची के चल रहे पुनरीक्षण में कथित अनियमितताओं के खिलाफ चेतावनी जारी की है। उसे कहा है कि यदि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए गए तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी और एक बड़े आंदोलन का आह्वान किया जाएगा।

लगभग 15,000 पार्टी पदाधिकारियों की मौजूदगी में बंद कमरे में हुई वर्चुअल बैठक में तृणकां के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भाजपा पर आगामी चुनावों में 'चुपचाप धांधली' करने के लिए एसआईआर का उपयोग करने का आरोप लगाया है। 

उन्होंने कहा, 'यदि एक भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया गया तो बंगाल के एक लाख लोग नई दिल्ली स्थित चुनाव आयोग कार्यालय के बाहर धरना देंगे।' उन्होंने यह भी दावा किया कि पुनरीक्षण प्रक्रिया के कारण राज्यभर में डर का माहौल पैदा हो गया है।

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