नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के बारे में गलतफहमियां हैं: सिद्दरामय्या

‘ऐसी धारणा है कि यह सर्वेक्षण पिछड़ी जातियों के लिए  है’

नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति को सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के बारे में गलतफहमियां हैं: सिद्दरामय्या

Photo: Siddaramaiah.Official FB Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने शुक्रवार को कहा कि इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति को राज्य में जारी सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के बारे में कुछ गलतफहमियां हैं।

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सिद्दरामय्या ने संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसी धारणा है कि यह सर्वेक्षण पिछड़ी जातियों के लिए  है।’

उन्होंने कहा, 'यह पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण नहीं है। उन्हें जो लिखना है, लिखने दीजिए। लोगों को समझना चाहिए कि यह सर्वेक्षण किस बारे में है। अगर वे समझ नहीं पा रहे हैं तो मैं क्या कर सकता हूं?'

मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी मूर्ति दंपति द्वारा सर्वेक्षण में भाग लेने से इन्कार करने के बाद आई है, क्योंकि उन्होंने प्रोफार्मा में लिखा था कि वे पिछड़े समुदायों से नहीं आते हैं।

सिद्दरामय्या ने कहा, 'क्या इन्फोसिस (संस्थापक) का मतलब 'बृहस्पति' (बुद्धिमान) होना चाहिए? हम 20 बार कह चुके हैं कि यह पिछड़े वर्गों का सर्वेक्षण नहीं, बल्कि सभी के लिए सर्वेक्षण है।'

उन्होंने कहा कि सरकार ने कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जैसे शक्ति, जो गैर-लक्जरी सरकारी बसों में महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा प्रदान करती है, और गृह लक्ष्मी, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के परिवारों की महिला प्रमुखों को 2,000 रुपए प्रति माह देती है।

उन्होंने पूछा, 'क्या उच्च जाति की महिलाएं और गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले लोग शक्ति योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं? क्या गृह लक्ष्मी के लाभार्थियों में उच्च जाति के लोग शामिल नहीं हैं?'
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रियों द्वारा बार-बार स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद, इस प्रक्रिया को लेकर अभी भी भ्रांतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, 'अब केंद्र सरकार भी जाति जनगणना कराने जा रही है। तब वे (मूर्ति) क्या जवाब देंगे? मुझे लगता है कि उनके पास गलत जानकारी है।'

उन्होंने कहा, 'मैं यह बहुत स्पष्ट कर रहा हूं कि यह पिछड़े वर्गों के लिए सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि कर्नाटक के सात करोड़ लोगों का सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण है।'

राज्य में संभावित नेतृत्व परिवर्तन, जिसे 'नवंबर क्रांति' कहा जा रहा है, की अटकलों पर सिद्दरामय्या ने कहा, 'यह क्रांति नहीं है। क्रांति क्या है? क्रांति क्रांति है। बदलाव क्रांति नहीं है।'

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बिना किसी कारण के सामने आता रहता है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए।

सरकारी ज़मीन और सरकारी स्कूलों-कॉलेजों में गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के मंत्रिमंडल के हालिया फ़ैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह सिर्फ़ आरएसएस का मामला नहीं है। बिना सरकारी मंज़ूरी के कोई भी संगठन ऐसी गतिविधियां नहीं चला सकता। यह नियम दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार के नेतृत्व में भाजपा द्वारा लाया गया था।'

सिद्दरामय्या ने बिहार चुनाव को लेकर भरोसा जताया कि इंडि गठबंधन अच्छा प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा, 'लोग बदलाव चाहते हैं। राहुल गांधी के मार्च को ज़बरदस्त समर्थन मिला। हमारी जीत की संभावनाएँ प्रबल हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें आमंत्रित किया गया तो वे प्रचार अभियान में शामिल होंगे।

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