एआई के युग में रोचक शिक्षण
दुनिया में अच्छे शिक्षकों की जरूरत हमेशा रहेगी
इंटरनेट ने शिक्षण में रोचकता के दरवाजे खोल दिए हैं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 81 शिक्षकों को उनकी अनूठी शिक्षण पद्धतियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित कर शिक्षण के क्षेत्र में रोचक प्रयोगों को प्रोत्साहन दिया है। आज देश को ऐसी शिक्षण पद्धतियों की सख्त जरूरत है। पाठ्यक्रम में ज्ञान के साथ रोचकता का समावेश होना चाहिए। किसी भी विषय के पाठ्यक्रम को तैयार करने और उसे कक्षा में पढ़ाने के लिए विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को ध्यान में रखना चाहिए। पाठ्यक्रम कितना ही विद्वतापूर्ण क्यों न हो, अगर उसे पढ़ाने का तरीका रोचक नहीं है तो विद्यार्थी उसे उचित मात्रा में ग्रहण नहीं कर पाएंगे। हम सबने कभी-न-कभी ऐसे किस्से जरूर सुने होंगे कि फलां शिक्षक महोदय की कक्षा में सबको नींद आने लगती थी! जब रोचकता का अभाव होता है तो ऐसा ही होता है। अच्छा शिक्षक वह होता है, जो अपने विषय को रोचक तरीके से पढ़ाना जानता है। बेशक शिक्षक के लिए अपने विषय का विद्वान होना अनिवार्य है। अगर वह उसे पढ़ाने के लिए रोचक तौर-तरीके भी ढूंढ़ ले तो विद्यार्थियों के लिए बहुत आसानी हो जाती है। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत, कंप्यूटर विज्ञान, विभिन्न भाषाओं समेत सभी विषयों को रोचक बनाया जा सकता है। जब विद्यार्थी किसी विषय में कम अंक प्राप्त करते हैं और उनसे इसकी वजह पूछी जाती है, तो ज्यादातर के जवाब कुछ ऐसे होते हैं- 'कक्षा में कुछ समझ में नहीं आता, पढ़ाई में आनंद नहीं आता, किताब खोलकर देखने का मन नहीं करता, इस विषय से डर लगता है, सबकुछ दिमाग के ऊपर से निकल जाता है, काश कि यह विषय थोड़ा आसान होता, ऐसा लगता है कि विद्वान लेखकों ने यह किताब हमारे लिए नहीं, बल्कि अपने लिए लिखी है!'
आज इंटरनेट ने शिक्षण में रोचकता के दरवाजे खोल दिए हैं। इससे शिक्षकों को एक-दूसरे के अनुभवों को जानने और सीखने के अवसर मिलते हैं। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसे शिक्षक पढ़ा रहे हैं, जो खेल-खेल में विद्यार्थियों को अपने विषय की जानकारी दे देते हैं। उनके वीडियो अन्य लोग भी देखते हैं और टिप्पणियां करते हैं कि 'हमें ऐसे शिक्षक मिले होते तो पढ़ाई का अनुभव कुछ और होता ... हमारे लिए पढ़ाई किसी सज़ा से कम नहीं थी!' इस देश में ऐसे हजारों शिक्षक हैं, जिन्हें कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार तो नहीं मिला, लेकिन उनकी रोचक शिक्षण पद्धतियां विद्यार्थियों द्वारा बहुत पसंद की जाती हैं। वे अपने कर्तव्य के लिए समर्पित रहते हैं। उनके (पूर्व) विद्यार्थी पढ़ाई या रोजगार के सिलसिले में अन्यत्र चले जाने पर भी उन्हें याद करते हैं। राजस्थान में जयपुर के इंडिया इंटरनेशनल स्कूल की अंग्रेजी की शिक्षिका नेहा एस. कुमार का नाम भी इनमें शामिल किया जा सकता है, जिनकी रोचक शिक्षण विधियां अनूठी हैं। इसी तरह, झुंझुनूं जिले के कोलसिया गांव निवासी शिक्षक श्रवण कुमार खेदड़ ने गणित और रसायन विज्ञान पढ़ाने के लिए ऐसे रोचक सूत्र तैयार किए, जो ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इन दिनों शिक्षण में एआई को लेकर खूब चर्चा हो रही है। ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि भविष्य में शिक्षक की जगह एआई ले सकती है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि एआई के पास विभिन्न विषयों से संबंधित जानकारी का भंडार है। यह समय के साथ उन्नति करती जाएगी, लेकिन एक अच्छा शिक्षक जो पढ़ा और सिखा सकता है, वह एआई के बस की बात नहीं है। जीवन में अनुशासन, सकारात्मक सोच और चुनौतियों को स्वीकार कर आगे बढ़ने का हौसला एक शिक्षक ही दे सकता है, एआई नहीं। दुनिया में अच्छे शिक्षकों की जरूरत हमेशा रहेगी।

