झूठे जाति प्रमाण पत्र के मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए: सिद्दरामय्या
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एससी/एसटी के लिए राज्य स्तरीय जागरूकता एवं निगरानी समिति की बैठक हुई
Photo: @siddaramaiah X account
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने सोमवार को कहा कि उनकी अध्यक्षता में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य स्तरीय जागरूकता एवं निगरानी समिति की बैठक हुई। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध अत्याचार के मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं तथा पिछले छह माह में केवल 84 प्रतिशत मामलों में ही निर्धारित अवधि में आरोप पत्र प्रस्तुत किया जा सका है। शत-प्रतिशत मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।
सिद्दरामय्या ने कहा कि पुलिस को इसमें कोई बहाना नहीं बनाना चाहिए। 56 मामलों में न्यायालय में स्थगन आदेश है और इसे निपटाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए। अत्याचार के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य में 11 विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं। मुकदमों की उचित सुनवाई और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। वर्तमान में सज़ा दर 10 प्रतिशत है, इसे बढ़ाया जाना चाहिए। यदि यह पाया जाता है कि पुलिस आरोपियों के साथ मिली हुई है तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।सिद्दरामय्या ने कहा कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। हिंसा के परिणामस्वरूप दिव्यांगता के मामलों में प्रदान की जाने वाली चिकित्सा क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। साल 2023 से अब तक पिछले तीन वर्षों में कुल 6,635 मामले दर्ज किए गए हैं। 4912 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। केवल 4,149 मामलों में ही 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। कुल दर्ज मामलों में से केवल 63 प्रतिशत मामलों में ही 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। केवल 36 मामलों में ही दोषसिद्धि हुई है। लगभग 679 मामले अभी भी जांच के चरण में हैं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का सख्ती से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। झूठे जाति प्रमाण पत्र के मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। झूठे जाति प्रमाण पत्रों के मामलों में अदालतों ने फैसले दिए हैं, फिर भी फैसला लंबित क्यों है? वर्तमान में 170 ऐसे मामले हैं, जिनमें झूठे जाति प्रमाण पत्र साबित हो चुके हैं और उन पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि यह साबित हो जाता है कि झूठा जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करके सरकारी सुविधाएं प्राप्त की गई हैं, तो उसे वापस लेने की कार्रवाई की जानी चाहिए। इस संबंध में विभागों के बीच समन्वय आवश्यक है और एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
सिद्दरामय्या ने कहा कि प्रदेश में 33 डीसीआरई थाने खोले गए हैं, यदि कहीं स्टाफ की कमी है तो उसकी पूर्ति के लिए कदम उठाए जाएं। इस संबंध में सरकार को उचित प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। हिंसा के मामलों में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का चलन बढ़ता जा रहा है। यह बात सरकार के संज्ञान में आई है। ऐसे मामलों में, मौके पर जाकर, जांच-पड़ताल करने के बाद, शिकायत में सच्चाई होने पर ही एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
सिद्दरामय्या ने कहा कि राज्य भर में देवदासियों का सर्वेक्षण शुरू हो चुका है और सर्वेक्षण पूरा होने के बाद, देवदासियों के पुनर्वास और इस कुप्रथा के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक योजना लागू की जाएगी। विशेष अनुदान के प्रावधान की भी समीक्षा की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
सिद्दरामय्या ने कहा कि लंबित बैकलॉग पदों और भर्तियों की समीक्षा की जानी चाहिए। बैकलॉग पदों को भरने में किसी भी तरह के समझौते का सवाल ही नहीं उठता। सरकार दलितों की हितैषी है और दलितों को उचित न्याय दिलाने में बाधा डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


