नवदीक्षित को सांसारिक क्रियाओं का त्याग कर पांच महाव्रतों को धारण करना चाहिए: उपप्रवर्तक नरेशमुनि
गाेड़वाड़ भवन में नवदीक्षित साध्वीश्री अक्षयनिधिश्रीजी की बड़ी दीक्षा हुई

सत्य बहू मंडल की अनामिका लुंकड़ और कविता श्रीश्रीमाल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। स्थानीय वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अक्कीपेट के तत्वावधान गाेड़वाड़ भवन में नवदीक्षित साध्वीश्री अक्षयनिधिश्रीजी की बड़ी दीक्षा हुई। उपप्रवर्तक नरेशमुनिजी म.सा. ने बड़ी दीक्षा प्रदान करते हुए दशवैकालिक सूत्र के माध्यम से कहा कि आज के बाद नव दीक्षित काे संसार के सभी रिश्ते, नाते और सांसारिक क्रियाओं का त्याग करके मन, वचन और काया काे संयमित रखते हुए पांच महाव्रत, पांच समिति, तीन गुप्ती का पालन करते हुए अपने गुरु और गुरुणी की आज्ञानुसार विचरण करना है। साधु काे अपना हर कार्य विवेकपूर्वक यतना से करना हाेता है। साधु काे भ्रमर की तरह मधुकरी करते हुए गाेचरी लाकर अपनी उदरपूर्ति करना है।
सभा काे महासती डाॅ. दर्शनप्रभाजीजी, डाॅ प्रतिभाश्रीजी, आस्थाश्रीजी तथा नव दीक्षित महासती अक्षयनिधिश्रीजी ने भी संबाेधित किया। शालिभद्रमुनिजी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। अक्कीपेट संघ के अध्यक्ष नेीचंद सालेचा ने सबका स्वागत किया। नवकार विजय संगीत मंडल की सदस्याओं ने रेखा देवड़ा के नेतृत्व में मंगलाचरण किया।सत्य बहू मंडल की अनामिका लुंकड़ और कविता श्रीश्रीमाल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। दीक्षा गीत चंदनबाला महिला मंडल की सदस्याें ने दया लुंकड़ के नेतृत्व में प्रस्तुत किया।
लाभार्थी पंचकेसरी बडेरा परिवार की ओर से प्रकाशचंद बडेरा ने संघ का आभार प्रकट किया। विनाेद भुरट ने सभी का धन्यवाद दिया। संघ के उपाध्यक्ष प्रकाशकरण मेहता ने तथा नवयुवक मंडल के अध्यक्ष कमलेश सालेचा के नेतृत्व में सदस्याें ने सभी व्यवस्थाएं संभालीं।