संपूर्ण संते - 'बैक टू नेचर' में लोगों को खूब पसंद आ रहे कला के स्वरूप
समय सुबह 11 बजे से शाम 7.30 बजे तक है
एंट्री और कार पार्किंग मुफ्त है
चेन्नई/दक्षिण भारत। संपूर्ण संते - 'बैक टू नेचर' के 10 दिवसीय भव्य आयोजन में 21 राज्यों के 90 से अधिक शिल्प समूह अपनी प्रतिभा और सामान का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनके प्रति लोगों का खास आकर्षण है।
यहां मधुबनी पेंटिंग, पेपर मेकिंग और थ्रेड एंड बीड ज्वैलरी, लंबानी आदिवासी बुनाई आदि का शिल्प प्रदर्शन लोगों को खूब पसंद आ रहा है। बाजार में पारंपरिक भोजन भी उपलब्ध है। बाजार का एक और बड़ा आकर्षण विभिन्न नृत्य और कार्यशालाएं हैं। इसके लिए समय सुबह 11 बजे से शाम 7.30 बजे तक है। एंट्री और कार पार्किंग मुफ्त है।
आयोजकों ने बताया कि इसका आगाज 3 फरवरी को हो चुका है। यह 12 फरवरी तक जारी रहेगा। आयोजन स्थल तिरुवन्मियूर में कलाक्षेत्र रोड, पंबन स्वामीगल मंदिर के सामने, सीईआरसी कैंपस है।
आयोजकों ने बताया कि चेन्नई में यह 17वां संस्करण है। यह आयोजन हर संस्करण के साथ ज्यादा लोकप्रिय होता जा रहा है। अब ‘संते’ का बेंगलूरु, चेन्नई, मुंबई, पुणे, कोयंबटूर और हैदराबाद जैसे शहरों में बेसब्री से इंतजार किया जाता है।
संते स्वदेशी तकनीक, बनावट और डिजाइन का खजाना पेश करता है। इसके साथ ही बाजार परंपरा और आधुनिकता का प्रतीक है, जो कपड़ा, यार्डेज, सॉफ्ट फर्निशिंग, एक्सेसरीज, ज्वैलरी (सिल्वर), खिलौने और चमड़े के प्रॉडक्ट्स से लेकर मिट्टी के बर्तनों, पेंटिंग और होम फर्निशिंग तक का शानदार कलेक्शन पेश करता है।
यहां कला प्रेमियों के लिए बुने हुए टसर, चंदेरी, साउथ कॉटन, खादी, कच्छी, राजस्थानी पट्टू, ऑर्गेनिक पेन कलमकारी, अकोला, अजरक और कांचीवरम प्रिंट के साथ कोटा डोरिया, शिबोरी वर्क समेत कई चीजें हैं।
इसके अलावा उत्तराखंड के जैविक उत्पाद और 5 अद्भुत बीजों से निर्मित जैविक खाद, पौधे और सहायक उपकरण होंगे। 'संते' बुनकरों को टिकाऊ और बुनाई को बढ़ावा देने का वादा और प्रोत्साहन देता है।
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