नई शिक्षा नीति 25 वर्षों में भारत को दुनिया में अव्वल बनाने में मददगार होगी: शाह

शाह ने गुजरात के मेहसाणा में श्रीगोवर्धन नाथजी मंदिर में दर्शन एवं मंदिर परिसर में विभिन्न कार्यों का शिलान्यास किया

नई शिक्षा नीति 25 वर्षों में भारत को दुनिया में अव्वल बनाने में मददगार होगी: शाह

उन्होंने मेहसाणा के पिल्वई स्थित सेठ जीसी हाई स्कूल के 95 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम में शिरकत की

मेहसाणा/दक्षिण भारत। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के मेहसाणा में श्रीगोवर्धन नाथजी मंदिर में दर्शन एवं मंदिर परिसर में विभिन्न कार्यों का शिलान्यास किया। उन्होंने मेहसाणा के पिल्वई स्थित सेठ जीसी हाई स्कूल के 95 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने गांधीनगर के महुडी जैन मंदिर में दर्शन भी किए।

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हाई स्कूल में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि किसी संस्था के 95 वर्ष तक निष्कंटक और सफलतापूर्वक चलने का अर्थ है कि इस संस्था को बहुत ही पवित्र भावना और बेहतरीन तरीक़े से चलाया गया है। 

उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था को चलाने के लिए सिर्फ़ भावना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि इसके लिए सांतत्यपूर्ण प्रयास, परिश्रम और सामंजस्य बैठाने की शक्ति भी बहुत ज़रूरी है। इस विद्यालय के ट्रस्टी मंडल ने बिना किसी हस्तक्षेप के 95 साल से इस संस्था को सफलतापूर्वक चलाकर 35,000 से अधिक विद्यार्थियों का जीवन संवारने का काम किया है और इससे बड़ा पुण्य कार्य नहीं हो सकता।

शाह ने कहा कि अपने 95 साल के कार्यकाल में यह शिक्षण संस्था दो शिक्षा नीतियों की साक्षी बनी है। पहली, अंग्रेज़ों द्वारा बनाई गई शिक्षा नीति, जिसमें रटा-रटाया ज्ञान बौद्धिक क्षमता का परिचायक था। इस शिक्षा नीति में विचार, अनुसंधान, तर्क, विश्लेषण, निर्णय शक्ति, न्याय और मीमांसा दूर-दूर तक नहीं दिखाई देते थे, जिसके कारण समाज में कई प्रश्न खड़े हुए दिखाई देते थे। 

उन्होंने कहा कि 2014 में देश में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया और पूरे देश ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया और वे देश के प्रधानमंत्री बने। मोदी नई शिक्षा नीति लेकर आए, यह शिक्षा नीति 25 वर्षों में भारत को दुनिया में नंबर एक देश बनाने में मददगार होगी। 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में बोलने व विचार करने के साथ-साथ तर्क शक्ति, विश्लेषण, अनुसंधान और मौलिक चिंतन भी मातृभाषा में होने पर बल दिया गया है, जिससे भारत में अनुसंधान के क्षेत्र में अधिक से अधिक बल दिया जा सके। व्यक्ति के लिए अपनी मातृभाषा में मौलिक चिंतन बहुत ज़रूरी है और यह काम मोदी ने किया है।

शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि अगले 5 से 7 वर्ष में देशभर में प्राथमिक और सेकंडरी शिक्षा भारत की मातृभाषाओं में दिए जाने की व्यवस्था हो जाएगी। इसके साथ ही टेक्निकल, मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का काम शुरू हो गया है। 

शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश के भोपाल में मेडिकल के पहले सेमेस्टर के पाठ्यक्रम की बहुत सारी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद होने के बाद वहाँ हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई की शुरुआत हो चुकी है और अब गुजराती, तेलुगु, पंजाबी, उड़िया और बंगाली समेत अनेक भारतीय भाषाओं में मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा की शुरुआत होगी।

शाह ने एक बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि 'स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहती है तो स्वतंत्रता की सुगंध फैल ही नहीं सकती'। जब तक देश का नागरिक अपनी भाषा में विचार और शिक्षा की शुरुआत नहीं करता, तब तक वह स्वयं व अपने देश को आदर नहीं दिलवा सकता। 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में 5+3+3 और 4 साल शिक्षा की व्यवस्था की शुरुआत की गई है और 10 वर्ष के अंदर पूरे देश में यह स्ट्रक्चर लागू हो जाएगा। साथ ही 360 डिग्री होलेस्टिक प्रोग्रेस कार्ड कार्यक्रम भी बनाया गया है। 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंदर व्यावसायिक और कौशल शिक्षा की भी बहुत बड़ी भूमिका है और 50 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थियों को 10वीं पास करने से पहले किसी प्रकार की व्यावसायिक शिक्षा के साथ जोड़कर स्वरोजगार की दिशा में उसे आगे ले जाने में यह नई शिक्षा नीति बहुत काम आएगी। 

शाह ने कहा कि 6 से 8, 10 दिन बैग-लैस पीरियड की भी शुरुआत इस शिक्षा नीति में की गई है। इस नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने का काम सरकार अकेले नहीं कर सकती। इसमें शिक्षा संस्थानों, शिक्षाविदों, शिक्षकों और शिक्षकों को तैयार करने वालों की भी अहम भूमिका है। 

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए भी परिश्रम जरूरी है, इसीलिए रोज सुबह परिश्रम करने के संकल्प के साथ अगर बच्चे आगे बढ़ेंगे तो जीवन में उन्हें सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकेगा। 

शाह ने कहा कि अपने लिए परिश्रम करने के साथ-साथ दूसरों के लिए, देश के लिए और समाज के लिए भी परिश्रम करने से कोई नहीं रोक सकता।

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