शांति के राग में पाकिस्तान की नई चाल
शांति के राग में पाकिस्तान की नई चाल
पाकिस्तान द्वारा भारत को नियंत्रण रेखा और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी समझौते की पेशकश के बाद मीडिया के एक धड़े में ऐसा माहौल है कि इस पड़ोसी देश का हृदय परिवर्तन हो रहा है। भारत तो सदा ही शांति का पक्षधर रहा है, जिसका परिचय हम रोज देते आए हैं; अब सुधार की जरूरत पाकिस्तान को है जो कई बातों पर निर्भर करती है। भारत ने सहृदयता के तौर पर एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें दोनों पक्षों की ओर से इस बात का जिक्र है कि भारत-पाक के डीजीएमओ में हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा हुई और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की गई। वास्तव में भारत के लिए यह समय और ज्यादा सावधान रहने का है। जो देश सात दशकों से आतंकवाद का सहारा लेकर भारी खून-खराबा और तबाही मचाता रहा है, क्या वह शांति की बात कर सकता है?
पाकिस्तान न तो सुधरा है और न मौजूदा हालात में उसके सुधार की कोई गुंजाइश है। आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह तंगी का सामना कर रहा पाकिस्तान कोरोना काल में तबाह हो चुका है। खजाना खाली है और महंगाई आसमान छू रही है। कश्मीर में जिहाद के नाम पर जो आतंकी पाले थे, उनका गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा है। अवाम सड़कों पर है। ऐसे में इमरान खान को थोड़ी मोहल्लत चाहिए, जिसमें हालात कुछ बेहतर हो जाएं, आतंकियों की हिमायत हासिल होती रहे और जब महामारी का प्रकोप कम हो जाएगा, तो चीन से आर्थिक मदद लेकर वही हरकतें फिर शुरू कर दी जाएंगी।पाक का शांति राग कोरा ढोंग है। किसी को इसके झांसे में नहीं आना चाहिए। यह एक रणनीति के तहत फेंका गया जाल है जिसमें पाक फौज और इमरान खान अपनी धूमिल छवि सुधारने का मौका तलाश रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद इमरान ने बहुत कोशिश की थी कि दुनिया से सहानुभूति हासिल की जाए। उनका रुदन किसी ने नहीं सुना।
अब यह शांति राग उसी का दूसरा भाग है। हमने देखा कि किस तरह भारतीय सेना के पराक्रम के सामने चीनी फौजी पस्त हुए। जब गलवान विवाद सुर्खियों में आया तो पाकिस्तान में हर्ष की लहर थी। अब पीएलए अपने कदम पीछे खींच रही है तो पाक के टीवी स्टूडियो में मायूसी छाई है। सर्दियों की विदाई के साथ अब एलओसी से लगते इलाकों पर बर्फ पिघलने लगी है यानी घुसपैठियों के लिए आसानी। इस समय भारतीय सशस्त्र बलों को ऐसे तत्वों पर पकड़ मजबूत करते हुए उनके खिलाफ पूर्व की भांति कठोर कार्रवाई जारी रखनी चाहिए। यह भी हो सकता है कि इस समय का उपयोग कर पाकिस्तान अपने आतंकियों को एलओसी या अन्य किसी रास्ते से भारत में दाखिल कराने की साजिश रच रहा हो।
उसका एक नतीजा यह भी निकल सकता है कि जब पाकिस्तानी आतंकी भारतीय सशस्त्र बलों के निशाने पर आ जाएं और वे ढेर कर दिए जाएं, तो बौखलाया पाकिस्तान भारत पर ही वादा तोड़ने का आरोप लगाकर फिर पुराने ढर्रे पर लौट आए। इस तरह वह भारत को आक्रांता के तौर पर पेश करने का मौका पा सकता है। चूंकि हाल में पाकिस्तान को एफएटीएफ से बड़ा झटका लगा है। वह ब्लैक लिस्ट में जाने से बाल-बाल बचा है। उसके सामने बड़ी चुनौती है कि किसी तरह व्हाइट लिस्ट में आए। इसके लिए कुछ नाटक करना पड़े तो उसमें क्या जाता है!
पाक की ख्वाहिश है कि एफएटीएफ उस पर भरोसा जताए। एक बार जब वह व्हाइट लिस्ट में आ जाएगा तो विदेशी सहायता हासिल करने में आसानी होगी। पाक सोचता है कि इस कार्यवाही से भारत उस पर भरोसा कर लेगा और असावधान हो जाएगा, जिसका फायदा उठाकर वह फिर किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दे देगा। पाक पर भरोसे का परिणाम कारगिल युद्ध, पठानकोट हमला, उरी हमला, पुलवामा हमले के रूप में सामने आ चुका है। पाक को चाहिए कि वह इन हरकतों से बाज़ आए। काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।