दशहरा महोत्सव से पहले पूर्ण होगा ग्लास हाउस
दशहरा महोत्सव से पहले पूर्ण होगा ग्लास हाउस
मैसूरू। बागवानी विभाग ने दशहरा महोत्सव -२०१७ से पहले यहां निशात बाग (कुप्पना पार्क) परिसर में ग्लास हाउस को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। बेंगलूरू के लालबाग की तर्ज पर ग्लास हाउस का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने वर्ष २०१५-१६ के बजट में ग्लास हाउस परियोजना की घोषणा की थी और इसके लिए ६ करो़ड रुपये की राशि सुरक्षित रखी थी। इसके लिए तत्काल १.५ करो़ड रुपए जारी किए गए थे लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से काम शुरू नहीं किया गया। मैसूरु ग्लास हाउस लालबाग से कुछ अलग दिखाई देगा। इसकी संरचना गुंबद के आकार में डिजाइन की गई है और १,०२० वर्ग मीटर क्षेत्र में इसको स्थापित किया जाएगा। इसके निर्माण के लिए कांच के छोटे टुक़डों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें दो तरफ कांच के सेंसर वाले दरवाजे होंगे। शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए भी इसमें अलग से सुविधा होगी। संगीत फव्वारे के शुभारंभ के साथ कुप्पना पार्क को एक पर्यटन स्थल के रूप में पेश किये जाने के बाद बागवानी विभाग का ग्लास हाउस की स्थापना का प्रस्ताव आया। बागवानी के वरिष्ठ सहायक निदेशक (उद्यान और पार्क) तिम्माराजू ने बताया कि ग्लास हाउस का इस्तेमाल फ्लॉवर शो के लिए किया जायेगा और इस दौरान फूलों की विदेशी किस्मों और पौधों की संरक्षण गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाएगा। पार्क का चयन ग्लास हाउस के निर्माण के लिए किया गया था क्योंकि इसे मुख्यमंत्री द्वारा आवंटित विशेष अनुदान के तहत पुनर्निर्मित किया गया था।पिछले कुछ महीनों पहले ग्लास हाउस का काम शुरू हुआ और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने दशहरा से पहले काम पूरा करने का आश्वासन दिया है। मैसूरू सिटी कारपोरेशन ने रखरखाव के लिए पार्क को अपने नियंत्रण में रखा है। यह पार्क पैलेस से पांच मिनट की पैदल दूरी पर है और यह शहर का पहला पार्क है, जहां इसकी रोशनी की आवश्यकताओं के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है। पार्क में ८ केवी सौर ऊर्जा इकाई स्थापित की गई है जो १२ एक़ड क्षेत्र में हैइसमें दो तरफ कांच के सेंसर वाले दरवाजे होंगे। शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए भी इसमें अलग से सुविधा होगी। संगीत फव्वारे के शुभारंभ के साथ कुप्पना पार्क को एक पर्यटन स्थल के रूप में पेश किये जाने के बाद बागवानी विभाग का ग्लास हाउस की स्थापना का प्रस्ताव आया।