30 मई से हड़ताल पर जाएंगे राज्य के होटल और रेस्तरां

30 मई से हड़ताल पर जाएंगे राज्य के होटल और रेस्तरां

चेन्नई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत आयकर में प्रस्तावित वृद्धि के विरोध में राज्य के लगभग दो लाख होटल ह़डताल पर जाएंगे। ह़डताल का समर्थन करने वाले होटलों में एकल रेस्तरां के साथ ही श्रृखंलाबद्ध रेस्तरां (चैन ऑफ रेस्टोरेंट्स) और विभिन्न सितारा होटलों से संबद्ध रेस्तरां भी शामिल है। तमिलनाडु होटल संघ के अध्यक्ष एम वेंकयासुब्बू ने इस संबंध में यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि केन्द्र सरकार ने ५० लाख से कम वार्षिक टर्नओवर वाले छोटे रेस्तराओं पर ५ प्रतिशत का टैक्स, ५० लाख से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले छोटे रेस्तराओं पर १२ प्रतिशत तथा वातानुकूलित सुविधा से युक्त रेस्तरां वाले रेस्तराओं पर १८ प्रतिशत का टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है।उन्होंने कहा कि हमने विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियों से अनुरोध किया है कि जीएसटी के तहत रेस्तराओं पर लगने वाले टैक्स को ५ प्रतिशत तक सिमित रखा जाए लेकिन कोई भी हमारी बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है और इसलिए राज्य के रेस्तरां चालकों ने पुदुच्चेरी, केरल और कर्नाटक के साथ दक्षिण भारत होटल एवं रेस्तरां ह़डताल का समर्थन करने का निर्णय लिया है। संघ के सचिव आर श्रीनिवासन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि जीएसटी के तहत होटल और रेस्तरां के लिए कर में वृद्धि करने का इस ताजा प्रस्ताव से होटल और रेस्तरां चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना प़डेगा क्योंकि बहुत सारे रेस्तरां अब संगठित ढंग से व्यापार कर रहे हैं और अपने कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि ओर कर्मचारी स्वास्थ्य निधि आदि जैसी सुविधाओं का लाभ दे रहे हैं। इस वृद्धि से रेस्तराओं में उपभोक्ताओं की संख्या कम होगी और जो लोग रेस्तरां में खाना खाने में सक्षम नहीं होंगे वह गली नुक्क़डों पर दुकान सजाने वालों के पास जाएंगे। श्रीनिवासन ने कहा कि इस प्रकार अचानक टैक्स में हुई वृद्धि का रेस्तरां और होटलों पर काफी प्रभाव प़डेगा और कई होटल और रेस्तरा बंद हो जाएंगे। इसके साथ ही कई छोटे रेस्तरां भी टैक्स के दायरे में आए जाएंगे और वह फिर से संगठित ढंग से अपना व्यापार करने लगेंगे। इसके कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता भी प्रभावित होने की संभावना है। संघ के पूर्व अध्यक्ष एम रवि ने इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कई देशों में भोजन पर टैक्स नहीं लगता है और जहां पर टैक्स लगाया जाता है वह ५ प्रतिशत से कम है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा यहां तक कि आईस क्रीम और सॉफ्ट ड्रिंक पर भी २८ प्रतिशत का टैक्स लगाया जा रहा है। इससे बहुत सारे परिवार रेस्तराओं का रुख नहीं करेंेगे। अगर केन्द्र सरकार द्वारा अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया जाता है तो हमारे पास अनिश्चितकालीन ह़डताल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।होटल संघ के सदस्यों का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा स्वदेशी भोजन जैसे कि इडली, डोसा और कॉफी आदि पर भी काफी अधिक टैक्स लगाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय रेस्तरां श्रृंखला इस टैक्स को आसानी से अदा कर देंगे लेकिन इडली और डोसा जैसे स्वदेशी भोजन प़डोसने वाले होटलों को परेशानी होगी। घर से दूर रहने वाले लोग इन होटलों में दिन में तीन बार भोजन करते हैं और ऐसे में प्रतिदिन ३०० रुपए का भेजन करने वाले उपभोक्ताओं को हर माह टैक्स के रुप में १,६२० रुपए देने होंगे। कुछ इसी प्रकार से घर के बाहर होटल में खाने पर १,००० रुपए खर्च करने वाले परिवारों को टैक्स के रुप में १८० रुपए का भुगतान करना होगा। इसके साथ ही होटल मालिकों ने कहा है कि केन्द्र सरकार की ओर से होटलों को हर महीने में तीन बार आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए कहा गया है जो कि सही नहीं है।

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