गुजरात: 6 बार भाजपा से हारने के बाद अब कहां खड़ी कांग्रेस?

गुजरात: 6 बार भाजपा से हारने के बाद अब कहां खड़ी कांग्रेस?

उसने 2017 में भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी और 182 में से 77 सीटें जीती थीं


अहमदाबाद/दक्षिण भारत/भाषा। कभी गुजरात में दबदबे वाली राजनीतिक ताकत रही कांग्रेस 1995 के बाद से लगातार छह विधानसभा चुनाव भाजपा से हार चुकी है और उसे इस बार अपना पुराना गौरव फिर से हासिल करने की उम्मीद है।

Dakshin Bharat at Google News
इसने 2017 में भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी और 182 में से 77 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 99 सीटें मिली थीं।

केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारों के साथ, कांग्रेस अगले महीने होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में जीत के लिए बेताब है।

हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात भी कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए पहली बड़ी परीक्षा होगी, जो पिछले 24 वर्षों में पार्टी के शीर्ष पद पर काबिज होने वाले पहले गैर-गांधी नेता हैं।

यहां प्रस्तुत है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में कांग्रेस की ताकत, कमजोरियां, अवसर और जोखिम का विश्लेषण :

ताकत:

. कांग्रेस के पारंपरिक मतदाता आधार से समर्थन की उम्मीद - ठाकोर और कोली जैसे ओबीसी समुदायों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और मुसलमानों से अपेक्षित समर्थन।

. लगातार छह बार भाजपा से हारने के बावजूद, पार्टी ने 40 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी बनाए रखी है।

. अगर वह ‘खम’ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) वोटों पर ध्यान केंद्रित करती है और असंतुष्ट पटेल समुदाय का समर्थन हासिल करने में सफल रहती है तो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है।

. जातियों और समुदायों के खम संयोजन को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी द्वारा एक जीत के फार्मूले के रूप में तैयार किया गया था और अतीत में यह कांग्रेस के काम आया है।

कमजोरियां:

. राज्य स्तर पर मजबूत नेताओं की कमी।

. राज्य इकाई में गुटबाजी और अंदरूनी कलह।

. 66 शहरी और अर्ध-शहरी सीटें हैं जो कांग्रेस गुजरात में पिछले 30 वर्षों में नहीं जीत पाई है।

. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में व्यस्त होने के कारण, राज्य इकाई को वस्तुतः अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।

. पिछले 10 वर्षों में कई कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। इनमें पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और कांग्रेस के 16 विधायक (2017 से 2022 के बीच) शामिल हैं।

अवसर:

. कांग्रेस को इस बात से राहत मिल सकती है कि 2002 के बाद से गुजरात में हर विधानसभा चुनाव में भाजपा की सीटों की संख्या घट रही है।

. गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा आक्रामक प्रचार के रूप में कांग्रेस नेताओं को लगता है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस के ग्रामीण वोट बैंक से ज्यादा भाजपा के शहरी वोट बैंक को नुकसान पहुंचाएगी।

. कांग्रेसी नेताओं को उम्मीद है कि गांवों में उसके ‘चुपचाप’ किए जा रहे कार्यों से लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने गुजरात में कांग्रेस द्वारा ‘चुपचाप’ किए जा रहे प्रचार के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं को आगाह किया था।

जोखिम:

. ‘मोदी फैक्टर’ जो भाजपा को प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर फिर से बढ़त दिला सकता है।

. आप और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) द्वारा कांग्रेस के जनाधार में सेंध लगाने की जोरदार कोशिश।

. चुनाव हारने पर अधिक लोगों के कांग्रेस छोड़ने की आशंका।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

इजराइली एजेंसियां 15 वर्षों से बना रही थीं पेजर और वॉकी-टॉकी धमाकों की योजना! इजराइली एजेंसियां 15 वर्षों से बना रही थीं पेजर और वॉकी-टॉकी धमाकों की योजना!
Photo: idfonline FB Page
हेमंत सोरेन सरकार ने 'जनकल्याण' की जगह 'घुसपैठिया कल्याण' अपनाया है: शाह
अमेरिका-कर्नाटक के बीच 'सिस्टर सिटी' कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव रखा: प्रियांक खरगे
आज की कांग्रेस में देशभक्ति की आत्मा दम तोड़ चुकी है: मोदी
'आप' ने अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी आवास की मांग की
उत्तराखंड: दंगों या विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाया नुकसान तो होगी वसूली
लेबनान में जो वॉकी-टॉकी फटे, उन्हें बनाने वाली कंपनी ने किया बड़ा खुलासा