खंडित फैसला, लेकिन हिजाब मामले पर दोनों जजों का क्या रुख रहा?

खंडित फैसला, लेकिन हिजाब मामले पर दोनों जजों का क्या रुख रहा?

उक्त फैसले में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने छात्राओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जब गुरुवार को फैसला सुनाया जा रहा था तो इस पर पूरे देश की निगाहें थीं। हालांकि खंडित फैसला आने से स्थिति पूर्णतः स्पष्ट नहीं हुई, जिससे मामले पर वृहद पीठ सुनवाई करेगी। वहां दलीलें दी जाएंगी, जिसके बाद फैसला आएगा।

Dakshin Bharat at Google News
उक्त फैसले में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने छात्राओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जो उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई थीं। हालांकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया का रुख बिल्कुल अलग रहा। उन्होंने छात्राओं को इसकी अनुमति दी।

न्यायमूर्ति धूलिया का फैसला
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उच्च न्यायालय ने गलत रास्ता अपनाया। हिजाब पहनना अंततः ‘पसंद’ का मामला है, कुछ ज्यादा नहीं, कुछ कम नहीं। उन्होंने कहा कि निर्णय में उनका मुख्य जोर आवश्यक धार्मिक अभ्यास की अवधारणा है, जो विवाद के लिए आवश्यक नहीं था। उन्होंने कहा कि उनका ध्यान बालिकाओं की शिक्षा पर है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। 

फैसले में सवाल
न्यायमूर्ति धूलिया ने पूछा, ‘क्या हम उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?’ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति देते हुए, न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के 5 फरवरी, 2022 के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

अब आगे क्या?
खंडित फैसले के मद्देनजर, पीठ ने निर्देश दिया कि अब उपयुक्त वृहद पीठ के गठन के लिए अपीलों को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
 

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download