केरल: दुष्कर्म मामले में नन ने बिशप मुलक्कल के बरी होने के खिलाफ अपील दायर की
मामले में 105 दिनों तक सुनवाई हुई और 39 गवाहों से पूछताछ की गई
तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। बहुचर्चित दुष्कर्म मामले में नन ने आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी किए जाने के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय में अपील दायर की है। जानकारी के अनुसार, नन के वकील एस श्रीकुमार ने 28 मार्च को यह अपील दायर की थी। उन्होंने जालंधर डायसिस के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को जनवरी में कोट्टयम की निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने को चुनौती दी है। राज्य सरकार ने अभी तक मामले में अपनी अपील दायर नहीं की है, लेकिन बुधवार को पीड़िता की अपील को मंजूरी दे दी।
14 जनवरी को कोट्टयम की अतिरिक्त जिला अदालत ने दुष्कर्म मामले में फ्रैंको को क्लीन चिट दे दी थी। अदालत ने फ्रेंको मुलक्कल को विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए बरी कर दिया था, जिसमें 'पीड़िता की घटनाओं का असंगत संस्करण और अभियोजन पक्ष के मामले को साबित करने के लिए सबूतों की कमी' शामिल है।उस समय मामले के विशेष अभियोजक जितेश बाबू ने कहा था कि बिशप के बरी होने को चुनौती दी जाएगी। अपील दायर करने की समय सीमा निचली अदालत के फैसले की तारीख से 90 दिन है।
निचली अदालत के फैसले के तुरंत बाद, कोट्टयम के पूर्व एसपी हरिशंकर, जिन्होंने मामले की जांच का निरीक्षण किया था, ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि फैसला आरोपियों के खिलाफ होगा और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे केस हार जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि फ्रेंको का बरी होना यौन उत्पीड़न न्यायशास्त्र के खिलाफ है।
उक्त मामले में 105 दिनों तक सुनवाई हुई और 39 गवाहों से पूछताछ की गई। साथ ही 122 दस्तावेजों को अदालत के सामने पेश किया गया। रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायसिस के बिशप फ्रैंको पर नन ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
नन के आरोपों के अनुसार, बिशप ने 2014 से 2016 के बीच केरल की यात्राओं के दौरान 13 मौकों पर गलत हरकत की थी। बिशप के खिलाफ जून 2018 में केरल में शिकायत दर्ज हुई। उसे 21 सितंबर, 2018 को गिरफ्तार किया गया। हालांकि उसे 16 अक्टूबर, 2018 को जमानत मिल गई थी।
फ्रेंको ने एफआईआर रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहां उसे सफलता नहीं मिली।