इंदौर: बेसहारा बुजुर्गों के साथ अमानवीय बर्ताव मामले में बोले जिलाधिकारी- भगवान से माफी मांगी

इंदौर: बेसहारा बुजुर्गों के साथ अमानवीय बर्ताव मामले में बोले जिलाधिकारी- भगवान से माफी मांगी

इंदौर: बेसहारा बुजुर्गों के साथ अमानवीय बर्ताव मामले में बोले जिलाधिकारी- भगवान से माफी मांगी

प्रतीकात्मक चित्र। स्रोत: PixaBay

इंदौर/भाषा। हाड़ कंपाने वाली ठंड में बेघर और बेसहारा बुजुर्गों को देश के ‘सबसे साफ शहर’ इंदौर की शहरी सीमा से जबरन बाहर छोड़े जाने पर स्थानीय प्रशासन को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और जिलाधिकारी ने ‘अधिकारियों की गलती’ के लिए भगवान से माफी मांगने की बात कही।

यह घटना ऐसे वक्त सामने आई है, जब लगातार चार बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का खिताब अपने नाम कर चुके इंदौर का प्रशासन “स्वच्छ सर्वेक्षण 2021” में भी जीत के इस सिलसिले को कायम रखने के लिए नगर को चकाचक दिखाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है।

सन्न कर देने वाले इस वाकये ने सभ्य समाज की संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है और शुक्रवार की इस घटना के वीडियो सामने आने के बाद पिछले 48 घण्टों में फिल्म अभिनेता सोनू सूद से लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा समेत हजारों लोग सोशल मीडिया पर इस मामले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर चुके हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस घटना पर नाराजगी जताते हुए नगर निगम के एक उपायुक्त को पहले ही निलंबित कर चुके हैं। निगम प्रशासन दो मस्टर कर्मियों को बर्खास्त भी कर चुका है।

बहरहाल, घटना पर मचा बवाल अब तक थमा नहीं है और स्थानीय प्रशासन को इस अहम सवाल का जवाब नहीं सूझ रहा है कि कड़ाके की ठण्ड में बेसहारा बुजुर्गों को शहर से बाहर जबरन छोड़ने का अमानवीय कदम आखिर क्यों और किस अफसर के आदेश पर उठाया गया?

इस बारे में पूछे जाने पर नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त अभय राजनगांवकर ने रविवार को कहा, ‘हम मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं। जांच के बाद सारे तथ्य सामने आ जाएंगे।’

इस बीच, जिलाधिकारी मनीष सिंह ने शहर के खजराना गणेश मंदिर में रविवार को एक पर्व की पूजा-अर्चना के दौरान कहा कि उन्होंने बेसहारा बुजुर्गों के साथ नगर निगम कर्मचारियों की बदसलूकी के घटनाक्रम के लिए प्रशासन की ओर से ईश्वर से क्षमा मांगी है।

सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस मामले में भले ही किसी भी व्यक्ति की गलती रही हो। लेकिन हम अधिकारी हैं और अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। इसलिए हमने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वह हमें हमारी गलतियों के लिए क्षमा करें।’

बेसहारा बुजुर्गों के साथ इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों के अमानवीय बर्ताव का खुलासा जिस वीडियो से हुआ, उसे शहर के पास स्थित क्षिप्रा गांव में चाय की दुकान चलाने वाले राजेश जोशी ने शुक्रवार को अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया था। जोशी बताते हैं, ‘यह (शुक्रवार) दोपहर दो से ढाई बजे के बीच की बात है। इंदौर नगर निगम के कर्मचारी अपनी गाड़ी में आठ-दस बेहद कमजोर बुजुर्गों को लेकर आए थे। वे कुछ बुजुर्गों के हाथ-पैर पकड़ कर उन्हें जबरन गाड़ी से उतार रहे थे। इनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं।’

उन्होंने बताया, ‘मैंने इस घटना का वीडियो बनाना शुरू किया, तो नगर निगम कर्मचारी कहने लगे कि सरकार के आदेश पर इन बुजुर्गों को यहां (क्षिप्रा गांव में) छोड़ा जा रहा है क्योंकि ये लोग इंदौर में गंदगी फैला रहे हैं।’

जोशी ने बताया कि ग्रामीणों के विरोध के बाद नगर निगम कर्मचारियों ने बुजुर्गों को आनन-फानन में दोबारा ट्रक में बैठाया और गाड़ी इंदौर की ओर लौट गई।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि इनमें से कुछ बुजुर्ग अधिक उम्र के चलते अपने बूते चलने-फिरने से भी लाचार थे और वे हताश होकर सड़क किनारे बैठ गए थे । इनमें कुछ दिव्यांग भी शामिल थे। बेसहारा लोगों के सामान की पोटलियां सड़क किनारे यहां-वहां बिखरी नजर आ रही थीं।

इस बीच, विपक्षी कांग्रेस के स्थानीय विधायक संजय शुक्ला ने दावा किया कि नगर निगम के कर्मचारी शुक्रवार को 15 बेसहारा बुजुर्गों को जबरन गाड़ी में बैठाकर इंदौर की शहरी सीमा के बाहर छोड़ने गए थे।

उन्होंने कहा, ‘ग्रामीणों के विरोध के बाद नगर निगम कर्मचारियों ने केवल चार लोगों को वापस इंदौर लाकर रैन बसेरों में पहुंचाया। लेकिन बाकी 11 लोग कहां हैं? हो सकता है कि इन्हें क्षिप्रा गांव से इंदौर शहर के बीच के रास्ते में कहीं जबरन उतार दिया गया हो। हमने इन बुजुर्गों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पुलिस को ज्ञापन सौंपा है।’

उधर, नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त अभय राजनगांवकर ने दावा किया, ‘केवल छह बुजुर्गों को इंदौर से बाहर ले जाया गया था और इतने ही लोगों को वापस शहर में लाया गया। इनमें से तीन लोगों को रैन बसेरों में रखा गया है, जबकि तीन अन्य लोग शहर वापसी के बाद अपनी मर्जी से हमारी गाड़ी से उतरकर चले गए हैं।’

अधिकारियों ने बताया कि शहर के अलग-अलग स्थानों पर 10 रैन बसेरे चल रहे हैं और बेघर लोगों को कड़ाके की ठण्ड से बचाने के लिए इन आश्रय स्थलों में भेजा जा रहा है।

अधिकारियों ने हालांकि बताया कि फिलहाल इन रैन बसेरों में केवल 76 लोग रुके हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक बेसहारा लोग इन रैन बसेरों में रुकने में इसलिए रुचि नहीं दिखाते क्योंकि वहां इनके भोजन की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती और पेट की आग बुझाने के लिए इन्हें दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता है।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

ओडिशा: सुचरिता मोहंती के टिकट लौटाने के बाद कांग्रेस ने इन्हें बनाया पुरी से उम्मीदवार ओडिशा: सुचरिता मोहंती के टिकट लौटाने के बाद कांग्रेस ने इन्हें बनाया पुरी से उम्मीदवार
सुचरिता ने कहा कि अगर उन्हें कांग्रेस की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली होती तो वे अपना टिकट वापस नहीं...
एचडी रेवन्ना को एसआईटी अधिकारियों ने हिरासत में लिया
अरविंदर सिंह लवली समेत कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल
एक ओर गर्मियों में थाईलैंड जाने वाले राहुल हैं, दूसरी ओर बिना छुट्टी लिए देशसेवा करने वाले मोदी हैं: शाह
पाक फौज को इमरान की दो टूक- सिर्फ एक शर्त पर हो सकती है बातचीत, अगर ...
किसान से नहीं मिलते, सिर्फ बड़े लोगों के साथ दिखते हैं प्रधानमंत्री मोदी: प्रियंका वाड्रा
पहले आतंकी हमला होने पर कांग्रेस सरकार दुनियाभर में रोती थी, आज पाक रो रहा है: मोदी