जो देश का है, वह हर देशवासी का है: मोदी
जो देश का है, वह हर देशवासी का है: मोदी
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के शताब्दी समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जो देश का है, वह हर देशवासी का है और उसका लाभ हर देशवासी को मिलना चाहिए।
आज एएमयू से तालीम लेकर निकले लोग भारत के सर्वश्रेष्ठ स्थानों के साथ ही दुनिया के सैकड़ों देशों में छाए हैं। एएमयू के पढ़े लोग दुनिया में कहीं भी हों, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान एएमयू ने जिस तरह समाज की मदद की, वह अभूतपूर्व है। लोगों का मुफ्त टेस्ट कराना, आइसोलेशन वार्ड बनाना, प्लाज्मा बैंक बनाना और पीएम केयर फंड में एक बड़ी राशि का योगदान देना समाज के प्रति आपके दायित्यों को पूरा करने की गंभीरता को दिखाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत से लोग बोलते हैं कि एएमयू कैंपस अपने आप में एक शहर की तरह है। अनेक विभाग, दर्जनों हॉस्टल, हजारों टीचर-छात्रों के बीच एक मिनी इंडिया नजर आता है। यहां एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है, तो हिंदी भी। अरबी पढ़ाई जाती है तो संस्कृति की शिक्षा भी दी जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश जो योजनाएं बना रहा है, वो बिना किसी मत-मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुंच रही हैं। बिना भेदभाव 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले। बिना भेदभाव 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिए गए। बिना भेदभाव 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस सिलेंडर मिला।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज उस मार्ग पर बढ़ रहा है जहां मजहब की वजह से कोई पीछे न छूटे, सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें, सभी अपने सपने पूरे करें। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास, ये मंत्र मूल आधार है। देश की नीयत और नीतियों में यही संकल्प झलकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मुस्लिम बेटियों को स्कूल ड्रॉपआउट रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा था, वो अब घटकर करीब-करीब 30 प्रतिशत रह गया है। पहले लाखों मुस्लिम बेटियां शौचालय की कमी की वजह से पढ़ाई छोड़ देती थीं, अब हालात बदल रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 21वीं सदी में भारत के छात्र-छात्राओं की जरूरतों को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा गया है। हमारे देश के युवा नेशन फर्स्ट के आह्वान के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सशक्त महिला का हर फैसले में उतना ही योगदान होता है, जितना किसी और का। फिर चाहे बात परिवार को दिशा देने की हो या देश को। मैं देश की अन्य शिक्षा संस्थानों से भी कहूंगा कि ज्यादा से ज्यादा बेटियों को शिक्षा से जोड़ें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा में नामांकन संख्या बढ़ाने और सीटें बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है। वर्ष 2014 में हमारे देश में 16 आईआईटी थे। आज 23 आईआईटी हैं। वर्ष 2014 में हमारे देश में 9 आईआईआईटी थे। आज 25 आईआईआईटी हैं। वर्ष 2014 में हमारे यहां 13 आईआईएम थे। आज 20 आईआईएम हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेडिकल शिक्षा को लेकर भी बहुत काम किया गया है। छह साल पहले तक देश में सिर्फ सात एम्स थे। आज 22 एम्स हैं। शिक्षा चाहे ऑनलाइन हो या फिर ऑफलाइन, सभी तक पहुंचे, बराबरी से पहुंचे, सभी का जीवन बदले। हम इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। जिस सदी को भारत की बताया जा रहा है, उस लक्ष्य की तरफ भारत कैसे आगे बढ़ता है, इसे लेकर सब उत्सुक हैं। इसलिए हम सबका एकनिष्ठ लक्ष्य यह होना चाहिए कि भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली शताब्दी में मतभेदों के नाम पर बहुत समय पहले ही जाया हो चुका है। अब समय नहीं गंवाना है। सभी को एक लक्ष्य के साथ मिलकर नया भारत, आत्मनिर्भर भारत बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज में वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति की हो, तो हर मतभेद किनारे रख देने चाहिए। जब आप सभी युवा साथी इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो ऐसी कोई मंजिल नहीं, जो हम हासिल न कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें समझना होगा कि सियासत सोसाइटी का अहम हिस्सा है। लेकिन सोसाइटी में सियासत के अलावा भी दूसरे मसले हैं। सियासत और सत्ता की सोच से बहुत बड़ा, बहुत व्यापक किसी देश का समाज होता है।