राजनाथ ने जिस सड़क का उद्घाटन किया, उससे कैलाश-मानसरोवर यात्रियों को होंगे ये बड़े फायदे

राजनाथ ने जिस सड़क का उद्घाटन किया, उससे कैलाश-मानसरोवर यात्रियों को होंगे ये बड़े फायदे

धारचूला (उत्तराखंड)/दक्षिण भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को 80 किमी लंबी सड़क का उद्घाटन किया, जिससे कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रा में समय की बचत होगी। रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कैलाश-मानसरोवर यात्रा और सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी में एक नए युग की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक विशेष कार्यक्रम में धारचूला (उत्तराखंड) से लिपुलेख (चीन सीमा) तक सड़क मार्ग का उद्घाटन किया। राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के एक काफिले को रवाना किया।

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मंत्रालय ने बताया कि इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुदूर क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष दृष्टिकोण रखते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस महत्वपूर्ण सड़क संपर्क के पूरा होने के साथ स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के दशकों पुराने सपने और आकांक्षाएं पूर्ण हुए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सड़क के परिचालन के साथ क्षेत्र में स्थानीय व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

पहले लगते थे दो-तीन सप्ताह
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कैलाश-मानसरोवर की तीर्थयात्रा को हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र एवं पूजनीय बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सड़क लिंक के पूरा होने के साथ यात्रा एक सप्ताह में पूरी हो सकती है, जबकि पहले दो-तीन सप्ताह का समय लगता था। यह सड़क घटियाबगड़ से निकलती है और कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रा पर समाप्त होती है। 80 किमी लंबी इस सड़क की ऊंचाई 6,000 से 17,060 फीट तक है।

मंत्रालय ने बताया कि इस परियोजना के पूरा होने के साथ, अब कैलाश-मानसरोवर के तीर्थयात्री जोखिम भरे एवं अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके के मार्ग पर कठिन यात्रा करने से बच सकेंगे। वर्तमान में, सिक्किम या नेपाल मार्गों से कैलाश-मानसरोवर की यात्रा में लगभग दो से तीन सप्ताह का समय लगता है। लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों से होकर 90 किलोमीटर लंबे मार्ग की यात्रा करनी पड़ती थी। इसमें बुजुर्ग यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

ये भी हैं रास्ते
सिक्किम और नेपाल के रास्ते अन्य दो सड़क मार्ग हैं। इसमें भारतीय सड़कों पर लगभग 20 प्रतिशत यात्रा और चीन की सड़कों पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा करनी पड़ती थी। घटियाबगड़-लिपुलेख सड़क के खुलने के साथ, यह अनुपात उलट गया है। अब मानसरोवर के तीर्थयात्री भारतीय भूमि पर 84 प्रतिशत और चीन की भूमि पर केवल 16 प्रतिशत की यात्रा करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह वास्तव में ऐतिहासिक है।

बीआरओ ने हासिल की उपलब्धि
रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के इंजीनियरों और कर्मियों को बधाई दी, जिनके समर्पण ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है। उन्होंने इस सड़क के निर्माण के दौरान लोगों की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने बीआरओ कर्मियों के योगदान की प्रशंसा की जो कोविड-19 के कठिन समय में भी सुदूर स्थानों पर रहकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि बीआरओ प्रारंभ से ही उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के विकास में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। उन्होंने सभी बीआरओ कर्मियों को राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका के लिए बधाई दी और इस उपलब्धि के लिए संगठन के सभी रैंकों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, अल्मोड़ा से लोकसभा सदस्य अजय टम्टा और रक्षा मंत्रालय एवं बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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