कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पतालों की संख्या 602 हुई: स्वास्थ्य मंत्रालय

कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए अस्पतालों की संख्या 602 हुई: स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली/भाषा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए पूरे देश में 602 अस्पताल चिह्नित किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को नियमित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए बताया कि सभी जरूरी सुविधाओं से लैस इन अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को पृथक रखने के लिए 1,06,719 बिस्तर और गंभीर मरीजों को सघन चिकित्सा केंद्र (आईसीयू) में रखने के लिए 12,024 आईसीयू बिस्तरों का इंतजाम है।

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उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 1,211 नए मामले सामने आए हैं, साथ ही इस अवधि में 31 मरीजों की मौत हुई है। इसके साथ ही देश में कोरोना के संक्रमण के कुल मामले 10,363 हो गए हैं, जबकि अब तक इससे 339 लोगों की मौत हो चुकी है। अग्रवाल ने बताया कि संक्रमित मरीजों में से अब तक 1036 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

उन्होंने बताया कि सोमवार से अब तक देश में स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 179 है। अग्रवाल ने वैश्विक स्तर पर इस महामारी के प्रकोप को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के हवाले से भारत में स्थिति को संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण के कुल 76,498 मामले सामने आए और 5702 संक्रमित मरीजों की मौत हुई।

इस दौरान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए अभी तक 2,31,902 नमूनों की जांच की गई है। इनमें सोमवार से अब तक 21635 नमूनों की जांच भी शामिल है। इनमें 18,644 नमूनों का परीक्षण सरकारी प्रयोगशालाओं में और 2991 परीक्षण निजी प्रयोगशालाओं में किए गए।

गंगाखेड़कर ने बताया कि आईसीएमआर की प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़कर 166 हो गई है और 70 निजी प्रयोगशालाओं को भी कोविड-19 के परीक्षण की अनुमति दी जा चुकी है। अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन मई तक लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की घोषणा के मद्देनजर लॉकडाउन के मानकों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक शहर के प्रयासों का 20 अप्रैल तक मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके आधार पर बेहतर काम करने वाले शहरों को 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन से आंशिक छूट दी जाएगी।

अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि सशर्त छूट मिलने के बाद अगर उस शहर में शर्तों के पालन में कोई लापरवाही पाई गई तो छूट वापस भी ली जा सकेगी। अग्रवाल ने कहा कि शहरों के मूल्यांकन की क्या पद्धति होगी, इसे मंत्रालय द्वारा जल्द सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने 21 दिन के बाद लॉकडाउन की अवधि को 40 दिन तक बढ़ाए जाने के औचित्य के सवाल पर कहा कि किसी क्षेत्र में वायरस के सक्रमण की शृंखला को तोड़ने के लिए कम से कम 28 दिन में एक भी संक्रमित मरीज सामने नहीं आना चाहिए। इतना होने पर ही यह कहा जा सकता है कि उस क्षेत्र में संक्रमण की शृंखला टूट गई है।

संवाददाता सम्मेलन में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को भोजन उपलब्ध हो, इसके लिए 80 करोड़ जरूरतमंद लोगों को अगले तीन माह तक मुफ्त खाद्यान्न की सुविधा दी जाएगी। इसके तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों के परिवार को उसकी पसंद के मुताबिक पांच किग्रा खाद्यान्न (गेहूं या चावल) मुफ्त में दिया जाएगा।

इस दौरान वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता राजेश मल्होत्रा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान 13 अप्रैल तक गरीब कल्याण योजनाओं के तहत 32 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के बैंक खाते में सहायता राशि के रूप में कुल 29,352 करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा 5.29 करोड़ लाभार्थियों को राशन और खाद्यान्न भी दिया जा रहा है।

मल्होत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इन योजनाओं के तहत राज्यों को 3985 मीट्रिक टन दालें भेजी जा चुकी हैं और उज्ज्वला योजना के तहत 97.8 लाख गैस सिलेंडर भी दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की पहली किस्त के रूप में 7.47 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 14,946 करोड़ रुपए और 19.86 करोड़ महिलाओं के जनधन बैंक खातों में 9,930 करोड़ रुपए भेज दिए गए हैं। श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालय द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन पर प्रवासी मजदूरों सहित अन्य जरूरतमंद 5,000 लोगों की शिकायतों का निवारण किया गया है।

श्रीवास्तव ने बताया कि मंत्रालय ने लॉकडाउन से प्रभावित हुए प्रवासी मजदूरों और स्थानीय कामगारों की मदद के लिए राज्यों के श्रम आयुक्तों की निगरानी में भी 20 हेल्पलाइन शुरू की हैं।

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