निर्भया मामला: उच्चतम न्यायालय ने दोषी पवन गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज की

निर्भया मामला: उच्चतम न्यायालय ने दोषी पवन गुप्ता की सुधारात्मक याचिका खारिज की

निर्भया मामले का दोषी पवन

नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में दोषी पवन कुमार गुप्ता की सुधारात्मक याचिका सोमवार को खारिज कर दी। इस जघन्य अपराध के लिए पवन समेत चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है।

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सभी दोषियों को मंगलवार को फांसी दी जानी है। न्यायमूर्ति एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पवन की सुधारात्मक याचिका पर विचार किया था। इसी पीठ ने फांसी पर रोक लगाने की पवन की अर्जी भी खारिज कर दी।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘फांसी पर रोक की अर्जी खारिज की जाती है। सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है।’ पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे।

पवन कुमार ने सुधारात्मक याचिका में मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की अपील की थी। उसने मृत्यु होने तक दोषी को फांसी पर लटकाने के लिए निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की भी गुहार की थी।

निचली अदालत ने 17 फरवरी को नया फरमान जारी कर चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार की फांसी मंगलवार की सुबह छह बजे मुकर्रर की थी।

राष्ट्रपति अन्य तीन दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं। इससे पहले मुकेश और विनय ने अपनी याचिकाओं को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को उच्चतम न्यायालय में अलग-अलग चुनौती दी थी, जिन्हें शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

वहीं अक्षय ने अपनी दया याचिका खारिज होने को चुनौती नहीं दी जबकि पवन ने अभी तक राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर नहीं की है। गौरतलब है कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात फिथिजियोरेपी की 23 वर्षीय छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और लगभग 15 दिन बाद मौत हो गई थी। बाद में मृतक को निर्भया नाम दिया गया था।

इस मामले में मुकेश, पवन, विनय, अक्षय कुमार और एक किशोर समेत छह लोग आरोपी थे। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।

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