देश में एकता का प्रकाश लाएं
इस दीपावली पर लें यह संकल्प
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं ...
गुजरात में जैन समाज के अग्रणी संगठन “जीतो” ने 186 कारें खरीदने के लिए जिस सूझबूझ और एकता का प्रदर्शन किया, वह अद्भुत है। इस समाज ने वह मिसाल कायम की है, जिसमें सर्वसमाज की भलाई के लिए बड़ा संदेश है। जैन समाज की एकता के कारण कारों पर 21 करोड़ रुपए की छूट मिली है। अगर ये कारें अलग-अलग खरीदी जातीं, तो भी कंपनी का माल बिकता, लेकिन उस स्थिति में लाभ सिर्फ उस तक सीमित रहता। मिलकर खरीददारी करने से कंपनी को फायदा हुआ, क्योंकि उसे इकट्ठे ऑर्डर मिले, वहीं समाज भी लाभान्वित हुआ। 'एकता में बल है' - यह बात स्कूली किताबों में सबने पढ़ी थी। जैन समाज ने इसे साकार करके दिखा दिया। अगर सर्वसमाज इससे प्रेरित होकर कुछ फैसले ले तो हमारे देश की कई समस्याओं का बहुत जल्द समाधान हो सकता है। किसी दफ्तर के चक्कर लगाने की नौबत ही नहीं आएगी। हम अक्सर सुनते हैं कि लोगों में पढ़ने-लिखने की आदत नहीं रही। एक ही इलाके में खानपान संबंधी चीजों की कई दुकानें मिल जाएंगी, लेकिन पुस्तकालय एक भी नहीं मिलता! मनुष्य का जीवन सिर्फ पेट भरने के लिए तो नहीं मिला है। अगर किसी इलाके का हर परिवार थोड़ा-थोड़ा सहयोग करे तो बहुत अच्छा पुस्तकालय बन सकता है। इससे कई पीढ़ियों का भला हो जाएगा। इसी तरह सर्वसमाज एकजुट हो तो सड़कें, मोहल्ले, सार्वजनिक स्थान बिल्कुल साफ-सुथरे हो सकते हैं। लोगों को 'मैं' और 'मेरा' से आगे बढ़कर 'हम' और 'हमारा' की भावना पैदा करनी होगी। हमारे आस-पास कुछ ऐसे प्रतिभावान बच्चे मिलते हैं, जिनके माता-पिता उन्हें आगे पढ़ाने में समर्थ नहीं होते हैं। अगर सर्वसमाज मदद के लिए आगे आए तो ये बच्चे भविष्य में कमाल कर सकते हैं। कामयाब होने पर बधाई देनेवाले, वॉट्सऐप स्टेटस लगाने वाले तो खूब मिल जाते हैं। संघर्ष के दिनों में मदद का हाथ बढ़ाने वाले कितने मिलते हैं?
हर किसी का सपना होता है कि उसके सिर पर अपनी छत हो। अपना घर बनाते-बनाते जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा गुजर जाता है। याद करें, महाराजा अग्रसेन ने बहुत सुंदर सिद्धांत दिया था-'एक ईंट, एक रुपया'। अगर आज लोग उसका पालन करें तो देश में किसी को बेघर न रहना पड़े। गांवों में यह सिद्धांत ज्यादा असरदार साबित हो सकता है। वहां सब लोग एक-दूसरे को जानते हैं। किसी गांव में 2,000 परिवार हों तो घर बनाने के लिए इतनी ईंटों का तुरंत इंतजाम हो सकता है। साथ ही, हर परिवार वर्तमान मुद्रा की क्रय शक्ति को ध्यान में रखते हुए 100-100 रुपए भी दे तो उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा और संबंधित परिवार को घर बनाने में आसानी होगी। हर साल जब फसल कटने के बाद नया अनाज आता है तो शहरों में उसकी मांग होती है। अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि अनाज बहुत महंगा हो गया है। उनका यह कहना गलत नहीं है, क्योंकि खेतों से महानगरों तक पहुंचते-पहुंचते वह कई चरणों से गुजरता है। उधर, किसानों की भी शिकायत रहती है कि उन्हें उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। उन्हें स्थानीय मंडियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अगली फसल की बुआई का समय होने से नकदी की सख्त जरूरत होती है, इसलिए वे कम कीमत पर सौदा करने को मजबूर हो जाते हैं। अगर कई परिवार एकसाथ अनाज खरीदने के लिए किसानों से सीधे संपर्क करें तो दोनों पक्ष फायदे में रहेंगे। इससे किसानों को तुरंत अच्छी कीमत मिल जाएगी। लोगों को सस्ता अनाज मिल जाएगा। इस दीपावली पर देश में एकता का प्रकाश लाने का संकल्प लें। इससे मां लक्ष्मी सब पर कृपा करेंगी। दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं।

