पाक को करें बेनकाब
अगर पिछली सरकारों ने ध्यान दिया होता तो आज पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग रहता
बलोचिस्तान में बहुत बड़े स्तर पर जुल्म-ज्यादती का 'खेल' चल रहा है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पाकिस्तान की खूब पोल खोली है। इस पड़ोसी देश की असलियत सामने लाने के लिए ऐसे ही शब्दों का प्रयोग होना चाहिए। अपने लोगों पर बम बरसाने वाला और संगठित नरसंहार करने वाला पाकिस्तान बहुत ही निर्लज्जता से भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाता है। कई देश उसके इस दुष्प्रचार पर विश्वास कर लेते हैं। इसकी एक वजह यह है कि भारत की ओर से पाकिस्तान की असलियत सामने लाने की कोशिशों में कमियां रही हैं। अगर पिछली सरकारों ने इस ओर ध्यान दिया होता तो आज पाकिस्तान पूरी तरह अलग-थलग रहता। पश्चिमी देशों की जो सरकारें और कथित थिंक टैंक भारत की आलोचना करने के लिए मौका ढूंढ़ते रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं कि पाकिस्तान में क्या चल रहा है! यह देश कोई मंच पाते ही कश्मीर राग छेड़ देता है। इसने पीओके की जो दुर्दशा कर रखी है, उसका शायद ही कभी जिक्र होता है। पाकिस्तानी फौज ने पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) में लाखों महिलाओं से दुष्कर्म किया था। आज यही घृणित कृत्य बलोचिस्तान में हो रहा है। हजारों बलोच वर्षों से लापता हैं। वे कहां गए? स्थानीय लोगों का दृढ़ विश्वास है कि पाकिस्तानी फौज उनकी हत्या कर चुकी है। कई लोग ऐसे आरोप लगा चुके हैं कि फौज उनके युवाओं की आंखों पर पट्टियां बांधकर उड़ते हेलीकॉप्टर से नीचे धकेल देती है। यही नहीं, जिन युवाओं को अगवा करने के बाद खत्म कर दिया जाता है, उन्हें किसी गुमनाम कब्र में दफना दिया जाता है। क्या पश्चिमी मीडिया कभी ये खबरें दिखाता है? भारतीय मीडिया का कर्तव्य है कि वह इन खबरों को प्रमुखता से स्थान दे। खासकर अंग्रेजी मीडिया को इस पर विस्तृत रिपोर्टें जारी करनी चाहिएं।
बलोचिस्तान में बहुत बड़े स्तर पर जुल्म-ज्यादती का 'खेल' चल रहा है। कोई पाकिस्तानी पत्रकार वहां जाकर आंखोंदेखा हाल नहीं दिखा सकता। जो इतनी हिम्मत करता है, वह अपने लिए मुसीबतों को न्योता देता है। हाल में पाकिस्तानी वायुसेना ने केपीके के मत्रे दारा गांव पर देर रात बम बरसाए थे, जिससे दर्जनों लोग मारे गए थे। उनमें कई महिलाएं और बच्चे भी थे। अपने सोते हुए नागरिकों पर बम कौन बरसाता है? क्या यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है? क्या हर घटना पर 'करीब से नजर' बनाए रखने का दावा करने वाला अमेरिका इससे अनजान है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की पीठ थपथपा रहे हैं! वे शांति का नोबेल पुरस्कार पाने के लिए ऐसे लोगों की हिमायत हासिल करना चाहते हैं, जिनके हाथ निर्दोषों के खून से रंगे हुए हैं! हाल के वर्षों में पाकिस्तानी फौज ने विभिन्न अवसरों पर मुठभेड़ से संबंधित आंकड़े जारी कर दावा किया था कि उनमें कई आतंकवादियों का खात्मा किया गया है। हालांकि इन आंकड़ों पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि मुठभेड़ों में फौज द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाया जाता है। कुछ साल पहले एक मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकवादियों के बारे में खुलासा हुआ था कि वे बलोच मजदूर थे, जो सुबह काम पर निकले थे। पाकिस्तानी फौज ने उन्हें रास्ते से उठाया और बाद में आतंकवादी बताकर मार गिराया। फौज का दावा था कि उन लोगों ने घात लगाकर जवानों की ओर गोलीबारी की थी, जिसका जवाब दिया गया था। वहीं, शवों पर गोलियों के निशान ऐसे थे, जिन्हें देखकर पता लगाया जा सकता था कि उन्हें बहुत नजदीक लाकर गोलियां मारी गई थीं। ऐसी ख़बरों का विभिन्न विदेशी भाषाओं में अनुवाद कर संबंधित दूतावासों को भेजना चाहिए। पाकिस्तान के कुकृत्यों पर लगा नकाब उतारने में देर नहीं करनी चाहिए।

