बच्चों को 'साइबर भेड़ियों' से बचाएं

बड़ों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें इस बारे में बताएं

बच्चों को 'साइबर भेड़ियों' से बचाएं

डरने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत है

एक मशहूर अभिनेता की बेटी के साथ ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान हुई अभद्र हरकत इस बात का सबूत है कि इंटरनेट को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने की सख्त जरूरत है। जैसे-जैसे नई तकनीक आ रही है, गलत मानसिकता रखने वाले लोग उसका खूब दुरुपयोग कर रहे हैं। चूंकि बच्चे मासूम होते हैं, इसलिए वे उन्हें आसान शिकार समझते हैं। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब साइबर अपराधियों ने पहले तो बच्चों का विश्वास जीता, फिर उनके सामने अपने गलत इरादे जाहिर किए। बच्चों को अनजान लोगों के साथ ऑनलाइन बातचीत करनी ही नहीं चाहिए। अगर कभी ऐसा करना जरूरी हो तो अपने माता-पिता की मदद लेनी चाहिए। पवित्र मन और शुद्ध भावना रखने वाले ये बच्चे नहीं जानते कि ऑनलाइन दुनिया में कितने खतरनाक 'भेड़िए' घूम रहे हैं! बड़ों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें इस बारे में बताएं। आजकल कई घरों में एक विचित्र चलन बढ़ता जा रहा है। कामकाज में व्यस्त माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल फोन थमा देते हैं। उसके जरिए बच्चा क्या देख रहा है, किससे बात कर रहा है - वे इस पर कोई ध्यान नहीं देते। कई मामलों में ऐसा भी पाया गया कि जब कोई बच्चा अपने माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य के साथ मन की बात साझा नहीं कर पाता है तो वह ऑनलाइन विकल्प ढूंढ़ने लगता है। सोशल मीडिया पर चर्चित एक मामले के अनुसार, एक किशोरी को उसकी मां ने मोबाइल फोन लाकर दिया था, ताकि जब वह बाहर हो तो जरूरत पड़ने पर उससे संपर्क कर सके। उसने बेटी को समझा रखा था कि अनजान लोगों से ऑनलाइन बातचीत नहीं करनी है।

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एक दिन उसने अपनी बेटी को परखने के लिए सोशल मीडिया पर किसी काल्पनिक नाम से अकाउंट बनाया। इसके बाद बेटी से बातचीत शुरू कर दी। फिल्म, फैशन, खानपान, दोस्त, पसंद और नापसंद के बाद परिवार के बारे में पूछा। महिला को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि बेटी ने माता-पिता के नाम, घर का पता समेत कई महत्त्वपूर्ण बातें अपनी उस 'दोस्त' को बता दी थीं! बाद में महिला ने उसे समझाया कि अनजान लोगों के साथ बातचीत करते हुए ऐसी जानकारी साझा करना बहुत खतरनाक हो सकता है। प्राय: बच्चे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ये बातें साझा करने के बाद माता-पिता को बताने से इसलिए हिचकते हैं, क्योंकि उन्हें डांट-फटकार का डर रहता है। अगर कोई बच्चा ऐसी परिस्थिति का सामना कर रहा है तो बहुत स्नेह के साथ उसकी बात सुननी चाहिए और भविष्य में सावधान रहने के लिए कहना चाहिए। जरूरत पड़े तो पुलिस की मदद भी लेनी चाहिए। पूर्व में कुछ साइबर अपराधी यह कहते हुए (बच्चों को) ब्लैकमेल करते पाए गए थे कि 'अगर हमारी बात नहीं मानेंगे तो आपके परिवार को नुकसान पहुंचा देंगे।' उनकी धमकियों से बच्चों के मन में डर पैदा होना स्वाभाविक है। इसे दूर करना जरूरी है। बच्चों को समझाना चाहिए कि साइबर अपराधी खुद इतने डरपोक होते हैं कि वे अपने असली नाम के साथ सामने नहीं आते। उन्हें अपना चेहरा दिखाने से डर लगता है। उनकी सूचना पुलिस को दे देंगे तो वह उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। बेहतर तो यह होगा कि इंटरनेट का इस्तेमाल सीमित करें। इसके जरिए वे ही चीजें देखें, जो आपके ज्ञान में वृद्धि करें। मोबाइल फोन के बजाय अच्छी किताबों से 'दोस्ती' करें। अगर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कोई व्यक्ति परेशान कर रहा है तो माता-पिता या शिक्षकों को बताएं। बच्चों को डरने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।

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