जीएसटी दरों में कमी का लाभ आम लोगों को मिलना चाहिए: सिद्दरामय्या
कहा- 'जल्दबाजी में दोषपूर्ण जीएसटी लागू किया गया था'
Photo: @siddaramaiah X account
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने कहा कि हम जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के जीएसटी परिषद के फैसले का स्वागत करते हैं, जो लोगों और व्यवसायों पर मौद्रिक और अनुपालन बोझ को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि यह फैसला कोई नई समझदारी नहीं है, बल्कि राहुल गांधी, विपक्षी नेताओं और विपक्ष शासित राज्यों द्वारा वर्ष 2016-2017 से की जा रही मांग को लंबे समय से विलंबित स्वीकृति है, जब मोदी सरकार ने जल्दबाजी में दोषपूर्ण जीएसटी लागू किया था।सिद्दरामय्या ने कहा कि हमने शुरू से ही चेतावनी दी थी कि यह 'गब्बर सिंह टैक्स' छोटे व्यवसायों को बर्बाद कर देगा, अनुपालन लागत बढ़ाएगा और आम परिवारों पर बोझ डालेगा। दुर्भाग्य से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ साल तक इन चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया।
सिद्दरामय्या ने कहा कि स्पष्ट रूप से समझाएं तो जीएसटी प्रणाली केंद्र सरकार को कुल मतदान शक्ति का एक-तिहाई हिस्सा देती है, जबकि सभी राज्य मिलकर शेष दो-तिहाई हिस्सा साझा करते हैं। किसी भी सुधार के लिए तीन-चौथाई बहुमत की जरूरत होती है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि इसका मतलब है कि अगर सभी राज्य सहमत हो जाएं, तो भी एक ज़िद्दी केंद्र सरकार सुधारों को रोक सकती है। मोदी की सरकार ने ठीक यही किया। आज का यह सुधार साबित करता है कि हमारा रुख शुरू से ही सही था। अगर केंद्र सरकार ने पहले ही ध्यान दिया होता तो भारत के लोगों को वर्षों की मुश्किलों से बचाया जा सकता था।
सिद्दरामय्या ने कहा कि अब, यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जीएसटी युक्तिकरण का लाभ वास्तव में उपभोक्ता तक पहुंचे।
सिद्दरामय्या ने कहा कि दरों में कमी से आम लोगों के लिए कीमतें कम होनी चाहिएं, न कि बड़ी कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी। अगर इसका लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंचता है तो इसका पूरा दोष केंद्र सरकार पर होगा।
सिद्दरामय्या ने कहा कि इस फैसले से अकेले कर्नाटक को 15,000-20,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो सकता है। फिर भी, अपने लोगों के कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए, हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन हम केंद्र सरकार से यह भी दृढ़तापूर्वक आग्रह करते हैं कि वह जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर, जो अभी भी कुछ हानिकारक वस्तुओं पर वसूला जा रहा है, को राज्यों को वापस सौंप दे।
सिद्दरामय्या ने कहा कि एक राज्य के रूप में, हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं जो लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाए, कर आधार को व्यापक बनाए और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित करे। हमारे लिए, शासन का अर्थ दिखावे से नहीं, बल्कि कर्नाटक और भारत के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाना है।


