सबसे उत्तम दान सुपात्र दान होता है: वीरेंद्र मुनि

'मिच्छामि दुक्कडम देकर कुछ प्रायश्चित भी किया जा सकता है'

सबसे उत्तम दान सुपात्र दान होता है: वीरेंद्र मुनि

'सही व्यवस्था न होने से आप सुपात्र दान से भी वंचित हो जाते हैं'

चेन्नई/दक्षिण भारत। शहर के बाजार रोड सैदापेट में एसएस जैन संघ स्थानक विराजित श्री वीरेन्द्र मुनिजी म सा ने प्रवचन में 11 प्रतिपूर्ण पौषध के विषय में बताया कि पौषध व्रत करने से पाप की प्रवृत्ति का बंध होता है। 

Dakshin Bharat at Google News
पौषध करते समय अपने स्थान का प्रतिलेपन करना पड़ता है। रेती वगैरह बदलनी पड़ती हैं और सही ढंग से व्यवस्था न हो तो उसमें भी पाप दोष लगता है, इसलिए जिस स्थान पर या जगह पर जो व्यस्तताएं हैं, उसके हिसाब से उपयोग किया जाता है तो हम दोषों से बच सकते हैं। 

दृढ़ पालन या क्रिया की अगर सही व्यवस्था न हो तो समय परिवर्तन की अनुकूलता से पालन करना पड़ता है। पौषध में 18 दोष होते हैं। उनका ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए। धर्म क्रिया में समय के हिसाब से पालन करने में अगर कुछ दोष भी लगते हैं तो मिच्छामि दुक्कडम देकर कुछ प्रायश्चित भी किया जा सकता है, न कि चोरी-चुपके ढोंग से अंदर कुछ बाहर कुछ इस तरह धर्म का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। 

संतश्री ने कहा कि पहले साधु संतों की कोई तिथि नहीं होती थी, वो विचरते हुए ऐसे ही एक स्थान से दूसरे जगह आ जाते थे, लेकिन आजकल जिन श्रावकों के घर में सही व्यवस्था न होने के कारण साधु संतों को भी सूचित द्वारा ही विचरण करना पड़ता है। 

आजकल घरों में घर के सदस्यों के हिसाब से ही भोजन बनता है। अगर अचानक कोई मेहमान आ जाए या गौ माता को भी रोटी या भोजन देना हो या साधु-संत भी आ जाए तो सही व्यवस्था न होने से आप सुपात्र दान से भी वंचित हो जाते हैं, जबकि सबसे उत्तम दान सुपात्र दान बताया गया है। 

संचालन करते हुए सह मंत्री दिनेश बोकड़िया ने सबका स्वागत किया।

About The Author

Related Posts

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download