समाज की सुरक्षा के समक्ष व्यक्तिगत सफलताओं का महत्त्व नहीं: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
संतश्री ने जैन समाज की घटती जनसंख्या को खतरनाक संकेत बताया

लोकतंत्र में संख्याबल सर्वोपरि और महत्वपूर्ण होता है
गदग/दक्षिण भारत। राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में पार्श्व बुद्धि वीर वाटिका में आयोजित दूसरे सेमिनार में एक हजार से अधिक युवक-युवतियों को मार्गदर्शन देते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने अनेक ज्वलंत विषयों की तलस्पर्शी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि जब तक समाज का मजबूत संख्याबल न हों तब तक आपके मकान, दुकान, व्यापार, डिग्री, सुख-सामग्री और सफलताओं की सुरक्षा नहीं हो सकती। लोकतंत्र में संख्याबल सर्वोपरि और महत्वपूर्ण होता है। वही आपके अस्तित्व और भविष्य का नीति-निर्धारण करेगा।समाज की निरंतर कम होती जनसंख्या न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि वह खतरनाक संकेत हैं। प्रजनन दर कोकम कर समाज ऐतिहासिक भूल कर रहा है। इसकी सजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतनी पड़ेगी। शिक्षा,सुविधा और तकनीक के अभाव में भी हमारे पूर्वज समझदार थे। उन्होंने अभावों के बीच भी अपनी अपनी पांच-सात संतानों को पाल-पोसकर बड़ा किया।
आज सेमिनार में चेन्नई, बेंगलूरु, मैसूरु, हिरियूर, चलकेरे, शिवमोग्गा, दावणगेरे, कोप्पल, हुविनहडगली, हगरीबोम्मनहल्ली, सूरत, हुब्बली आदि अनेक क्षेत्रों के युवा उपस्थित थे।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने कहा कि समाज, धर्म और राष्ट्र की सुरक्षा के समक्ष व्यक्तिगत या पारिवारिक सफलताओं का कोई महत्व नहीं है। समाज, धर्म और राष्ट्र की उन्नति में ही हमारी उपलब्धियोंका कोई मूल्यांकन हो सकता है। जो व्यक्ति समाज और धर्म से परे हटकर अपनी व्यक्तिगत सफलताओं पर इतराते हैं, वे नादानी कर रहे हैं।
जैन संघ के मंत्री हरीश गादिया ने बताया कि सोवार से यहां तीन दिवसीय नवग्रह शांति अनुष्ठान प्रारंभ हो रहा है। इसमें जैन शास्त्रों के परिपेक्ष्य में नवग्रह की शांति और ज्योतिष संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए पूजन विधान और मंत्रजाप होंगे।
मुख्य पीठिकाओं पर तीर्थंकरों की विशाल मनोहारी प्रतिमाओं और नवग्रह के आकर्षक तैलचित्रों की स्थापना होगी। जैन संघ के निर्मल पारेख ने बताया कि शांति अनुष्ठान की तैयारियां जोरों में चल रही है।
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