कर्तव्य के साथ ईमानदारी से जीने की शिक्षा देता है धर्म: कमलमुनि 'कमलेश'
शिक्षा को जीवन में उतरना ही सच्चा धर्म पालन करना है

'कर्तव्य, नैतिकता और ईमानदारी के दर्शन दुर्लभ हो रहे हैं'
चेन्नई/दक्षिण भारत। मानव को अपनी आत्मा, परिवार, समाज, देश संपूर्ण मानवता और प्राणी मात्र के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना इसका कर्तव्य बोध जिस उपासना पद्धति के माध्यम से होता है, वही धर्म महान है।
यह विचार एलपी श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन संघ में सोमवार को राष्ट्र संत कमलमुनिजी ‘कमलेश’ की संबोधित करते हुए कहा कि कर्तव्य की उपेक्षा करके कर्मकांड करके धर्म की इतिश्री मान लेता है वह उपहास का पात्र बनता है।उन्होंने कहा कि विश्व का प्रत्येक धर्म कर्तव्य के साथ ईमानदारी से जीने की शिक्षा प्रदान करता है। शिक्षा को जीवन में उतरना ही सच्चा धर्म पालन करना है।
मुनिश्री कमलेश ने बताया कि महापुरुषों कर्तव्य को ही धर्म का असली प्राण बताया है इसके बिना कठोरतम साधना कर ले तो भी धार्मिकता में प्रवेश नहीं कर सकता। राष्ट्र संत ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो जाए तो विश्व की संपूर्ण समस्याएं स्वत: हल हो जाएंगी, विश्व शांति की स्थापना हो जाएगी।
जैन संत ने कहा ने दुख के साथ कहा कि इतनी धर्म पंथ संप्रदाय प्रवचन सभाएं निरंतर हो रही है परंतु कर्तव्य, नैतिकता और ईमानदारी के दर्शन दुर्लभ हो रहे हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?
घनश्याम मुनिजी, कौशल मुनिजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए मंगलाचरण किया। संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता विजय मालपानी, अजीत मुनोत, अभिनंदन कांकरिया, दिनेश खटोड़, राजेश चोरडिया, चिराग ललवानी आदि ने संतों का अभिनंदन किया।
8 जुलाई तक सभी संत यहीं विराजेंगे। 9 जुलाई को जैन भवन साहुकारपेट के लिए प्रस्थान करेंगे।