जयमल जैन संस्कार शिविर में संतों द्वारा हो रहा है संस्कारों का बीजारोपण
'स्वाध्यायियों का किया गया सम्मानए'

प्रबंधन, अध्यात्म और आजीविका का स्राेत मजबूत करना चाहि
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। जयगच्छाधिपति बारहवें पट्टधर आचार्यश्री पार्श्वचंद्रजी व डाॅ. पदमचंद्रजी के सान्निध्य में चल रहे 79वें जयमल जैन संस्कार कार्यक्रम में उपस्थित जनाें काे संबाेधित करते हुए पदमचंद्रजी ने कहा कि श्रावक के 12 व्रताें में अदत्तादान विरमण तीसरा व्रत है जाे जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण नैतिक सिद्धांत है।
श्रावक वर्ग बड़ी चाेरी का त्याग करते हैं जिससे नैतिकता और प्रामाणिकता में वृद्धि हाे सकती है। अदत्तादान से बचना केवल एक धार्मिक नियम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और मानवीय मूल्याें का आधार भी है। यह व्रत हमें ईमानदारी, परिश्रम और दूसराें के अधिकाराें का सम्मान करना सिखाता है।आचार्यश्री पार्श्वचंद्रजी के मुखारविंद से शिविरार्थियाें ने अनेकानेक त्याग, व्रत, प्रत्याख्यान ग्रहण किए। प्रवचन की श्रृंखला में जैन समणी डाॅ. सुयशनिधिजी ने कहा कि व्यक्ति काे यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी हाे ताे पांच बाताें पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। स्वास्थ्य, रिश्ते, धन का
प्रबंधन, अध्यात्म और आजीविका का स्राेत मजबूत करना चाहिए। उन्हाेंने अनेक उदाहरणाें के माध्यम से शिविरार्थियाें काे प्राेत्साहित किया। प्रवचन के पश्चात् राकेश भंसाली, पवन बेताला ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया।
कमल खटाेड़ ने संताें के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए भाव प्रस्तुत किए। उर्मिला, सराेज भूरट ने भजन गाया। रीता ललवानी ने गुरु भक्ति गीत गाया, संगीता कावड़िया और उनकी मंडली ने नाटिका प्रस्तुत की। जयमल जैन स्वाध्याय समिति के अध्यक्ष विमलचंद सांखला और मंत्री अशाेकचंद खटाेड़ ने वर्ष 2024 के पर्युषण पर्व में विभिन्न स्थानाें में स्वाध्याय सेवा देने वाले साधकाें का सम्मान किया।
सायंकालीन सत्र में रायचूर के पीयूष आंचलिया ने बच्चाें काे साॅफ्ट स्किल्स में पारंगत हाेने के लिए अनेक गुर सिखाए। जेपीपी जैन युवा फाउंडेशन के अध्यक्ष चेतन काेठारी, मंत्री अक्षय श्रीश्रीमाल सहित अन्य पदाधिकारियाें ने अपनी सेवाएँ दीं।
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