मुनीर का प्रलाप

आसिम मुनीर ने 'भारतविरोध' और 'हिंदूविरोध' के नाम पर तालियां तो खूब बटोरीं

मुनीर का प्रलाप

पाकिस्तान एक ऐसा नासूर है, जिसने मानवता को सदैव पीड़ा दी है

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने जम्मू-कश्मीर और हिंदू समाज के बारे में जो बयान दिया, वह उनकी संकुचित मानसिकता को दर्शाता है। उसमें कट्टरता और अज्ञान का अंश बहुत ज्यादा है। ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन के एक समारोह में मुनीर ने 'भारतविरोध' और 'हिंदूविरोध' के नाम पर तालियां तो खूब बटोरीं, लेकिन उनके शब्दों में काफी विरोधाभास था। मुनीर पाकिस्तान के बनने को इस तरह पेश कर रहे हैं, गोया वह इतिहास की ऐसी महान घटना थी, जिससे मानवता का बहुत भला हो गया! वे पाकिस्तानियों से कह रहे हैं कि अपने बच्चों को देश के बनने की कहानियां जरूर सुनाएं, ताकि वे उसे भूलें नहीं। ऐसा लगता है कि खुद मुनीर अपने देश का सही इतिहास नहीं जानते। पाकिस्तान नफरत की बुनियाद पर बना एक कृत्रिम राष्ट्र है। यह अपनी असल पहचान को हमेशा नकारता रहता है। पाकिस्तान बनने से लेकर आज तक लाखों लोग इसकी वजह से जान गंवा चुके हैं। अगर यह किसी दिव्य शक्ति की ओर से इतना बड़ा वरदान होता (जैसा कि मुनीर दावा करते हैं) तो इसकी वजह से मानवता लहूलुहान क्यों हुई? क्यों बलोचिस्तान में आज़ादी की जंग चल रही है? क्यों केपीके में धमाके हो रहे हैं? क्यों सिंध अलग होना चाहता है? अगर यह मानवता पर कोई महान उपकार था तो पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) के लोग आपसे अलग क्यों हो गए? क्यों वहां लाखों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी? अगर आसिम मुनीर को पाकिस्तान में इतनी अनूठी विशेषताएं नज़र आती हैं तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनके देश को लोग छोड़-छोड़कर क्यों भाग रहे हैं? आम जनता की तो बात ही न करें, पाक के पूर्व सेना प्रमुख इस देश में नहीं रहना चाहते। जनरल कयानी, राहील शरीफ, क़मर जावेद बाजवा विदेशों में ऐश कर रहे हैं। परवेज मुशर्रफ विदेश में रहते हुए परलोक सिधारे थे। मुनीर ने भी ब्रिटेन, यूएई, अमेरिका या कनाडा बसने का इंतजाम जरूर कर लिया होगा।

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आसिम मुनीर के शब्दों से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान एक ऐसा नासूर है, जिसने मानवता को सदैव पीड़ा दी है। अगर इसके हुक्मरान कुछ अक्ल से काम लेते तो यह पड़ोसी देश कई क्षेत्रों में उन्नति कर सकता था, लेकिन इसे नासूर बनाए रखने की जिम्मेदारी पाकिस्तानी सेना ने संभाल रखी है। मुनीर ने हिंदू समाज के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया, उससे उनके देश में एकजुटता पैदा नहीं होगी, बल्कि नफरत ही बढ़ेगी। सिंध में लाखों हिंदू परिवार रहते हैं। कई हिंदू पाकिस्तानी सशस्त्र बलों में कार्यरत हैं। इस तरह मुनीर अपने ही लोगों का अपमान कर रहे हैं। वे जिस 'दो क़ौमी' नज़रिए की बात कर रहे हैं, उसे भारतीय सेना 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में दफ़्न कर चुकी है। मुनीर इतिहास का अध्ययन करें, वर्ष 1947 से आगे बढ़ें। याद करें, ढाका में रमना रेस कोर्स का नज़ारा, जब आप ही की तरह बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। मुनीर को वह दिन याद रखने में कुछ कठिनाई हो सकती है, क्योंकि तब वे महज़ तीन साल के थे। अलबत्ता उन्हें कारगिल युद्ध जरूर याद होगा, जब भारतीय सेना ने सैकड़ों 'पाकिस्तानी घुसपैठियों' को ढेर किया था। आज मुनीर कह रहे हैं कि भारतीय सेना उन्हें न तो डरा सकती है और न ही हरा सकती है! मुनीर जम्मू-कश्मीर के बारे में वही प्रलाप कर रहे हैं, जो उनके पूर्ववर्ती करते थे। वे अलगाववादियों को भड़काने की कितनी ही कोशिशें कर लें, अब यह दाल गलने वाली नहीं है। जम्मू-कश्मीर शांति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। मुनीर उसकी फिक्र न करें, बल्कि पीओके खाली करने की तैयारी करें। वह इलाका एक-न-एक दिन भारत के पास आना ही है। आसिम मुनीर ने यह साबित करने के लिए पूरा जोर लगा दिया कि हिंदू समाज से उनका कोई संबंध नहीं है। वे ऐसे दावों को बार-बार दोहराने के लिए स्वतंत्र हैं। पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व कैप्टन (जो अब मशहूर लेखक हैं) भी चालीस साल पहले ऐसे दावे करते थे। उन्हें यह पट्टी पढ़ाई गई थी कि हम तो विदेश से यहां राज करने आए थे। एक दिन उन्होंने अपना डीएनए टेस्ट करवा लिया। पता चला कि उनके पूर्वज हिंदू थे। मुनीर के परिवार की जड़ें भारत के पंजाब से हैं। उन पूर्व कैप्टन का परिवार भी पंजाब से था! आस्था बदल जाने से पूर्वज नहीं बदलते।

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