किसी को मारने से, उसे बचाने का ​अधिकार बड़ा है: आचार्य विमलसागरसूरी

गौशालाओं को सब्सिडी दे सरकार

किसी को मारने से, उसे बचाने का ​अधिकार बड़ा है: आचार्य विमलसागरसूरी

जीवदया और अहिंसा की बाताें काे महत्त्व देकर तत्काल उन पर कार्यवाही हाेनी चाहिए

हिरियूर/दक्षिण भारत। मंगलवार काे शहर के पास नित्यानंदस्वामी आश्रम में धर्मसभा काे संबाेधित करते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि जीवदया की किसी बात का आवेदन लेकर अगर किसी संगठन के प्रतिनिधि सरकारी कार्यालयाें में जाते हैं ताे वहां उनसे मुजरिम की तरह पचास प्रश्न पूछे जाते हैं।

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उन्होंने कहा कि जीवदया की बाताें पर काेई ध्यान नहीं देता। सरकाराें के पास कत्लखाने, मत्स्य उद्याेग, पाेल्ट्री फार्म, खेलकूद, उद्यान और बड़े-बड़े महाेत्सवाें के लिए बजट है, पर पशु-पक्षियाें के लिए कुछ भी नहीं। किसी नेता या सरकारी अधिकारी काे अहिंसा और जीवदया की काेई परवाह नहीं है। यह साैतेला व्यहार सर्वथा बंद हाेना चाहिए। जीवदया और अहिंसा की बाताें काे महत्त्व देकर तत्काल उन पर कार्यवाही हाेनी चाहिए। 

सरकाराें और प्रशासनिक अधिकारियाें काे सर्वाेच्च न्यायालय का यह आदेश संज्ञान में लेना चाहिए कि मारने के अधिकार से बचाने का अधिकार बड़ा है। अगर किसी काे मारने का अधिकार है ताे
हमें बचाने का अधिकार मिलना चाहिए। यही सच्चा न्याय है।

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि वर्तमान युग में हिंसा संगठित हाे गई है, जबकि अहिंसा अकेली पड़ गई है। अहिंसक और शाकाहारी समाज की उदासीनता भी इसके लिए जिम्मेदार है। हिंसा काे मिलती सरकारी सहायता अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह दुःखद और गाैरतलब तथ्य है कि राम, कृष्ण, महावीर, गाैतम बुद्ध और नानक के इस अहिंसक देश में मत्स्य उद्याेग, पाेल्ट्री फार्म और कत्लखानाें काे सरकार सब्सिडी देती है, जबकि पांजरापाेल और गाैशालाओं काे कुछ नहीं मिलता। उन्हें परेशान हाेना पड़ता है। प्रतिदिन लाेगाें से पैसे मांग-मांगकर पशु-पक्षियाें की देखभाल करना पड़ती है। भारतीय संविधान मानवता की दुहाई देता है, लेकिन दूसरी तरफ सरकारें गाैशालाओं के लिए जमीन या काेई सुविधाएं देने काे तैयार नहीं हाेती।

गणि पद्मविमलसागरजी ने भी अपने विचार प्रकट किए। चित्रदुर्ग के विधायक वीरेंद्र पप्पी ने विशेष रूप से उपस्थित हाेकर जैनाचार्य से आशीर्वाद ग्रहण किए और उनसे अनेक विषयाें की चर्चा की। आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने उनसे कहा कि वे कर्नाटक के पांजरापाेल और गाैशालाओं काे सरकारी सहायता और सुविधाएं दिलाने का प्रयत्न करें। मंगलवार प्रातः संतगण हिरियूर से पदयात्रा करते हुए नित्यानंद स्वामी आश्रम पहुंचे।

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