'प्रार्थना, मंत्रजाप और ध्यान हैं जीवन के शांति का उपाय'

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने मार्गदर्शन दिया

'प्रार्थना, मंत्रजाप और ध्यान हैं जीवन के शांति का उपाय'

सभी धर्म परंपराओं ने आराध्य की प्रार्थना पर बहुत जाेर दिया है

चिकमगलूर/दक्षिण भारत। स्थानीय नमिनाथ जैन मंदिर के समीप नमि-बुद्धि-वीर वाटिका में भाेर वेला में सामूहिक प्रार्थना, संगीतमय मंत्र जाप और ध्यान का आयाेजन किया गया। आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने साधना के लिए साधकाें काे दिशा, समय, आसन, वस्त्र परिधान, मनाेभूमिका, विधि, बीजमंत्राें के स्वरूप और रहस्य तथा मुद्राओं का तलस्पर्शी मार्गदर्शन दिया।

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उन्हाेंने कहा कि विश्व की सभी धर्म परंपराओं ने आराध्य की प्रार्थना पर बहुत जाेर दिया है। भले ही सबके नाम और तरीके अलग-अलग हैं, पर भावनात्मक स्वरूप सबका एक समान ही हैं। मंत्र सबके भिन्न-भिन्न हाे सकते हैं, लक्ष्य एक ही है। उसी तरह ध्यान के प्रयाेग और उसकी विधियां जुदा-जुदा हाे सकती हैं, लेकिन ध्येय ताे मन की एकाग्रता, पवित्रता और परम तक पहुंचने का ही है।

आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि इच्छा, तृष्णा, आकांक्षा, अपेक्षा, स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा से भरे मनुष्य के अशांत जीवन में प्रार्थना, मंत्रजाप और ध्यान, शांति का अमाेघ उपाय है। ये सिर्फ आध्यात्मिक साधना ही नहीं, तनावग्रसित मनुष्य के लिये मानसिक शांति का दिव्य संदेश है। ज्याें-ज्याें इच्छाएं बढ़ती हैं, वे असंताेष और अशांति काे बढ़ाती हैं। आपसी रिश्ताें में कदम-कदम पर स्वार्थ की बू आती है।

आगे बढ़ने और सफल हाेने की अंतहीन प्रतिस्पर्धा जीवन काे सतत असंताेष, निराशा और विषाद की अग्निज्वाला में स्वाहा करती रहती हैं। ऐसे में आराध्य भगवान की प्रार्थना, भावपूर्ण मंत्रजाप और ध्यान का अभ्यास मनुष्य के जीवन काे शांति, शक्ति, उन्नति और अद्भुत आत्मविश्वास देता है। हजाराें-लाखाें साधकाें ने इनके प्रयाेग किये हैं और वे सफल हुए हैं। हमें भी इनके प्रयाेग कर जीवन-पथ काे ज्याेतिर्मय बनाना चाहिए।

रात्रिकालीन ज्ञानसत्र में युवाओं काे मार्गदर्शन देते हुए गणि पद्मविमलसागरजी ने कहा कि जीवन से दाेषाें के परिष्कार के लिए गुणाें का अधिक से अधिक विकास किया जाना चाहिए। दाेष-दुर्गुण जीवन काे भारी बनाते हैं, जबकि गुणाें का अनुराग दाेष-दुर्गुणाें काे कमजाेर कर, जीवन काे भव्यता प्रदान करता हैं। सच्चे अर्थ में वही जीवन की उपलब्धि है। गुणाें से सम्पन्न जीवन की भव्यता के दर्शन अनेक लाेगाें की जिंदगी में किए जा सकते हैं।

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