इन साजिशों के पीछे कौन?

क्या कानपुर में देशविरोधी ताकतों का नेटवर्क मजबूत हो रहा है?

इन साजिशों के पीछे कौन?

ऐसा करना एक तरह से देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है

देश में रेल की पटरियों पर अवरोधक और ज्वलनशील सामग्री रखकर उन्हें बेपटरी करने की साजिशों के पीछे जो तत्त्व हैं, उनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। वे जान-माल का भारी नुकसान कराने के लिए ऐसी चालें चल रहे हैं, जिनमें विदेशी हाथ होने का भी संदेह होता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर एक गैस सिलेंडर का मिलना कोई सामान्य घटना नहीं है। 

Dakshin Bharat at Google News
इससे पहले, कानपुर जिले में ही कालिंदी एक्सप्रेस के रास्ते में रसोई गैस सिलेंडर, पेट्रोल से भरी बोतल, माचिस और अत्यंत ज्वलनशील चीजें मिली थीं। दोनों घटनाओं में ही ट्रेन चालकों ने बहुत सूझबूझ दिखाई, जिसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए। क्या इन घटनाओं के तार एक ही जगह जाकर जुड़ते हैं? 

क्या कानपुर में देशविरोधी ताकतों का ऐसा नेटवर्क मजबूत हो रहा है, जिससे जुड़े लोग ट्रेनों को निशाना बना रहे हैं? हालांकि देश के दूसरे इलाकों में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर ऐसा कोई नेटवर्क अस्तित्व में है तो वह कानपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। 

हाल में राजस्थान के अजमेर जिले में किसी ने एक मालगाड़ी के रास्ते में सीमेंट के भारी-भरकम ब्लॉक रख दिए थे। इसी तरह, गुजरात के सूरत जिले में किसी ने ट्रेन को पटरी से उतारने की साजिश के तहत ‘फिश’ प्लेटें हटा दीं तथा कई पेच ढीले कर दिए थे। 

ये सामान्य खुराफाती तत्त्वों की हरकतें नहीं लगतीं। जो व्यक्ति पटरियों पर गैस सिलेंडर रखेगा, सीमेंट के ब्लॉक लगाएगा, ‘फिश’ प्लेटें हटाएगा ... उसे इस बात की जानकारी जरूर होगी कि इससे देश को जान-माल का बहुत भारी नुकसान हो सकता है। स्पष्ट है कि इसके पीछे बहुत खतरनाक इरादे हैं। किसी गिरोह के उकसावे और साजिश के बिना ऐसा संभव नहीं है।

कालिंदी एक्सप्रेस के आगे जिस तादाद में ज्वलनशील सामग्री रखी हुई थी, अगर उस दिन कोई हादसा हो जाता तो सैकड़ों लोगों की जानें जा सकती थीं। मालगाड़ी के आगे अवरोधक या सिलेंडर रखना भी बहुत गंभीर मामला है। अगर वहां षड्यंत्रकारी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते तो चालक दल की जान खतरे में पड़ सकती थी। साथ ही, पीछे लदी कई टन सामग्री गिरने से भारी आर्थिक नुकसान हो सकता था। पटरियों के क्षतिग्रस्त होने से अन्य ट्रेनों का आवागमन बाधित होता, वह अलग। 

एक के बाद एक, ट्रेनों को बेपटरी करने की कोशिशों के मद्देनज़र बहुत जरूरी है कि अपराधियों पर शिकंजा कसा जाए। पटरियों के आस-पास खुफिया तंत्र को मजबूत किया जाए। हो सकता है कि एक जगह बड़ा सुराग हाथ लगने और अपराधियों के गिरफ्तार होने के बाद ऐसी हरकतों में शामिल अन्य लोग भी पकड़े जाएं! रेलवे की ओर से कई बार चेतावनी दी गई है कि पटरियों पर कोई सामान / चीज न रखें, इससे हादसा हो सकता है। इसके बावजूद कुछ खुराफाती लोग पटरियों के साथ 'प्रयोग' करते रहते हैं। 

प्राय: इसके पीछे सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा व्यूज पाने की इच्छा छिपी होती है। रेलवे को चाहिए कि जब भी कोई यूजर ऐसा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। पटरियों की सुरक्षा देशवासियों की सलामती से जुड़ी हुई है। लिहाजा ऐसे तत्त्वों को हतोत्साहित किया जाए। संबंधित सोशल मीडिया ऐप्स को पाबंद किया जाए कि जो लोग ऐसे खतरनाक प्रयोग करते हुए वीडियो बनाकर प्रसारित करें, उनके अकाउंट की तुरंत सूचना दें। 

पटरियों पर विस्फोटक, ज्वलनशील सामग्री, अवरोधक या हादसे को न्योता देने वाली कोई भी चीज रखना, पटरियों को कमजोर करना ... एक तरह से देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है। ऐसे लोगों के साथ खूब सख्ती से निपटने की जरूरत है। जितनी देरी होगी, उनकी उद्दंडता बढ़ती जाएगी।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download