शहबाज सरकार ने आईएसआई के सामने फिर टेके घुटने, इस इजाज़त से खुफिया एजेंसी फोन पर सुनेगी 'गुप्त बातें'
उसे कॉल इंटरसेप्ट करने और उनका पता लगाने के लिए अधिकृत किया है
Photo: ShehbazSharif FB page
इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने एक बार फिर अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सामने घुटने टेक दिए। उसके सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्रालय ने उसे कॉल इंटरसेप्ट करने और उनका पता लगाने के लिए अधिकृत किया है। इस संबंध में जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है।
अधिसूचना के अनुसार, आईएसआई को पाकिस्तान दूरसंचार (पुनर्गठन) अधिनियम, 1996 की धारा 54 के तहत यह अधिकार दिया गया है।अधिसूचना में कहा गया है कि धारा 54 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संघीय सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और किसी भी अपराध की आशंका में, धारा 54 के तहत परिकल्पित किसी भी दूरसंचार प्रणाली के माध्यम से कॉल और संदेशों को रोकने या कॉल का पता लगाने के लिए आईएसआई द्वारा समय-समय पर नामित किए जाने वाले ग्रेड 18 की रैंक से नीचे के अधिकारियों को अधिकृत करती है।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में, ऑडियो लीक से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) को बताया गया था कि सरकार ने किसी भी खुफिया एजेंसी को ऑडियो बातचीत को टैप करने की अनुमति नहीं दी है।
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) मंसूर उस्मान अवान ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी थी। बीबी एक लीक हुई बातचीत के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही थीं, जिसमें कथित तौर पर उनकी और पीटीआई नेता लतीफ खोसा की बातचीत शामिल थी।
6 दिसंबर को पाकिस्तान की पूर्व प्रथम महिला ने आईएचसी का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया कि रिकॉर्डिंग संविधान के अनुच्छेद 14 द्वारा प्रदत्त गरिमा और गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
खोसा के माध्यम से आईएचसी में दायर आवेदन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव तथा रक्षा एवं आंतरिक सचिवों को प्रतिवादी बनाया गया था।