बड़ी कार्रवाई की प्रतीक्षा

पाकिस्तान 'एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी' पर उतर आया है

बड़ी कार्रवाई की प्रतीक्षा

आम आदमी की तरह दिखना पाकिस्तानी आतंकवादियों का पुराना हथकंडा है

पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा जम्मू-कश्मीर में आरएस पुरा सेक्टर के अरनिया इलाके में लगभग सात घंटे तक की गई गोलीबारी बताती है कि इस पड़ोसी देश को भारत की ओर से एक और बड़ी कार्रवाई की प्रतीक्षा है। यह इस इलाके में साल 2021 के बाद से पहला बड़ा संघर्ष-विराम उल्लंघन है। 

आमतौर पर देखने में आता है कि दीपावली के आस-पास या किसी बड़े मौके पर पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी या आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश की जाती है। वह ऐसा 'रंग में भंग' डालने के लिए करता है। भारत की जनता चैन से त्योहार मनाए, यह पाक बर्दाश्त नहीं कर सकता। यूं तो एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का आना कोई नई बात नहीं है। उनमें से ज्यादातर को भारतीय सुरक्षा बलों के जवान वहीं मार गिराते हैं। 

प्राय: उन आतंकवादियों की संख्या एक या दो तक होती है, लेकिन इस बार तो सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ उल्लेखनीय सफलता मिली है। कुपवाड़ा जिले में एलओसी पर एक ही बार में पांच आतंकवादियों को ढेर कर दिया! यह हाल के दिनों में मारे गए आतंकवादियों की बहुत बड़ी संख्या है। अगर ये आतंकवादी घुसपैठ में कामयाब हो जाते तो यकीनन बड़ी वारदात को अंजाम देते। 

उधर, पाकिस्तान 'एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी' पर उतर आया है। उसने संघर्ष-विराम उल्लंघन के लिए भारत पर ही झूठा आरोप लगा दिया। हालांकि बीएसएफ ने अग्रिम चौकियों और गांवों पर बिना उकसावे की उसकी गोलीबारी तथा मोर्टार दागने की घटनाओं पर पाकिस्तान रेंजर्स के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया। वहीं, पाकिस्तान अपने आतंकवादियों को 'मासूम' बताकर दुष्प्रचार में व्यस्त हो गया है, जिसका पर्दाफाश होना ही चाहिए।

पाक जिन लोगों को 'निर्दोष' बता रहा है और भारत-विरोध के लिए कुख्यात जो वेबसाइट्स तथा सोशल मीडिया समूह उसके दुष्प्रचार को हवा दे रहे हैं, क्या वे यह बताने का कष्ट करेंगे कि उन 'लोगों' के पास हथियार क्यों थे? एलओसी के आस-पास रहने वाले परिवार अच्छी तरह जानते हैं कि किस इलाके से आगे नहीं जाना है। इसके बावजूद वे लोग हथियारों के साथ इधर आने की कोशिश क्यों कर रहे थे? निश्चित रूप से उनकी मंशा आतंकवादी घटना को अंजाम देने की थी, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने विफल कर दिया। वे लोग लश्कर के खूंखार दहशतगर्द थे। 

आम आदमी की तरह दिखना पाकिस्तानी आतंकवादियों का पुराना हथकंडा है, ताकि एलओसी पार करने के बाद आम लोगों में घुल-मिल जाएं और अपनी पहचान छुपा लें। अगर पाक इतना ही अमन-पसंद है तो पीओके में लॉन्च पैड क्यों चला रहा है? क्या वहां से शांति के कबूतर उड़ाए जा रहे हैं? पाकिस्तान समय-समय पर एक खास पैंतरा आजमाता है, जिसके बारे में सबको जानकारी होनी चाहिए। जब वह आतंकवादी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो जाता है तो 'बड़बोलेपन' पर उतर आता है। जब भारत की जवाबी कार्रवाई में उसके आतंकवादी मारे जाते हैं और उसे भारी नुकसान होता है तो वह 'विक्टिम कार्ड' खेलने लगता है, खुद को पीड़ित दिखाकर हमदर्दी पाने की कोशिश करता है। 

भारत-विरोधी कुछ वेबसाइट्स पाक के इस रुदन को हाथोंहाथ लेती हैं। उसके बाद पश्चिमी देशों के कुछ 'थिंक टैंक' सक्रिय हो जाते हैं। उनके ऐसे 'विशेषज्ञ', जिन्होंने ज़िंदगी में कभी एलओसी पर गोलीबारी नहीं देखी, वे अपने एसी युक्त कक्ष में बैठकर रिपोर्ट लिखते हैं कि 'भारत में असहिष्णुता बहुत बढ़ गई है'! उन्हें न तो आतंकवादियों के कृत्य दिखाई देते हैं, न जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से पीड़ित उन आम लोगों के घाव, जो पाकिस्तानी गोलियों ने दिए हैं। उन थिंक टैंकों के लिए तो पाक का 'विक्टिम कार्ड' ही 'गारंटी कार्ड' है!

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