जोखिम भरा सफर

हर साल बड़ी तादाद में पाकिस्तानी अवैध ढंग से यूरोप में दाखिल होने की कोशिश करते हैं

जोखिम भरा सफर

आज यूरोप के कई इलाके अतिक्रमण, अव्यवस्था, हिंसा और अपराधों से जूझ रहे हैं

यूनान के तट के पास नौका डूबने से 300 से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिकों की मौत की ख़बरें हैं। इनमें काफी संख्या में वे लोग भी थे, जो पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से वहां गए थे। पिछले सप्ताह जब यह नौका डूबी तो पता चला कि उसमें पाकिस्तान के अलावा मिस्र और सीरिया के लोग भी थे। आखिर इतने लोग, खासतौर से पाकिस्तानी जोखिम भरा सफर कर यूरोप क्यों जाते हैं? इसे समझना बहुत जरूरी है। 

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हर साल बड़ी तादाद में पाकिस्तानी अवैध ढंग से यूरोप में दाखिल होने की कोशिश करते हैं। कई लोग दाखिल हो भी जाते हैं। उसके बाद वहां छोटे-मोटे काम कर जमीन, संसाधनों पर कब्जे की कोशिश करते हैं। फिर नागरिकता लेने के लिए अर्जी लगाते हैं। कुछ साल बाद जब वहां ठीक-ठाक स्थिति में पहुंच जाते हैं तो सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करने में जुट जाते हैं। कई देशों में पाकिस्तानी आतंकवाद, अलगाववाद, हवाला, दुष्कर्म, घृणा और हिंसक गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं, जिससे वहां की सरकारें चिंतित हैं। 

उन्हें यूरोप और अन्य हिस्सों तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तान में ही कई एजेंट काम कर रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तानी एजेंसियां मदद करती हैं। अचंभे की बात यह है कि एक औसत पाकिस्तानी भी यूरोपीय संस्कृति को अश्लील और घृणास्पद मानता है, लेकिन जब रोजी-रोटी और बेहतर जीवन स्तर की बात आती है तो उन्हीं देशों में बसना चाहता है, भले ही इसके लिए जोखिम भरा सफर क्यों न करना पड़े। वे अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल आदि देशों को दिन-रात कोसते हैं, लेकिन अगर ये देश उनके लिए मुक्त आगमन की घोषणा कर दें तो पूरा पाकिस्तान खाली हो जाए! 

कुछ साल पहले पाक मूल के एक प्रोफेसर, जो यूरोप में पढ़ाते हैं, को वहां सीरियाई शरणार्थियों के समूह में ऐसा व्यक्ति मिला, जिसकी भाषा उनसे अलग थी। वह पाकिस्तान में सर्वाधिक प्रचलित भाषाओं में से एक में बातचीत कर रहा था। चूंकि प्रोफेसर की मातृभाषा भी वही थी, तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि सीरिया से आया हुआ व्यक्ति इस भाषा में कैसे बात कर रहा है! फिर मालूम हुआ कि वह पाकिस्तानी है, जो सीरियाई शरणार्थी होने के झूठे दस्तावेज बनवाकर आ गया।

आज यूरोप के कई इलाके अतिक्रमण, अव्यवस्था, हिंसा और अपराधों से जूझ रहे हैं, जिनमें पाकिस्तान से गए ऐसे लोगों की बड़ी भूमिका है। पाक मूल के कई अपराधी यूरोपीय जेलों में बंद हैं, जो स्थानीय किशोरियों/युवतियों को नशे की लत लगाकर उनके यौन शोषण में लिप्त थे। उनमें से कई तो ऐसे गिरोह का हिस्सा थे। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने नौका हादसे के बाद मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने का 'आदेश' दिया। साथ ही पीड़ितों के लिए एक दिवसीय शोक घोषित किया। निस्संदेह यह घटना उन परिवारों के लिए बहुत दु:खद है, लेकिन पाकिस्तानियों को यह समझना चाहिए कि उनकी इस दशा के लिए पाक फौज, एजेंसियां और सरकार जिम्मेदार हैं। अगर वे आतंकवाद को बढ़ावा न देते और भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखते तो आज पाकिस्तान बहुत बेहतर स्थिति में होता। उन लोगों को ऐसे जोखिम भरे सफर की जरूरत ही न पड़ती। 

पाकिस्तान के हुक्मरानों ने जनता के मन में कट्टरपंथ का जहर भरा और उन्हें भारत से घृणा की घुट्टी पिलाते रहे। इसी का नतीजा है कि आज पाकिस्तान एक-एक बिलियन डॉलर के लिए दर-दर हाथ फैला रहा है। पाकिस्तान की स्कूली किताबों में समानता, सहिष्णुता, उदारता का कोई चिह्न मौजूद नहीं है। वहां बच्चों को यही सिखाया जाता है कि आप सर्वश्रेष्ठ हैं, भारत आपका दुश्मन है ...। ऐसी शिक्षा प्रणाली से भविष्य अंधकारमय क्यों नहीं होगा? 

पाकिस्तानियों को अपने हुक्मरानों से हिसाब मांगना चाहिए कि उन्होंने मुल्क का पैसा कहां डुबोया, जनता को आटे के लाले पड़े हैं और वे शाही पकवान कैसे खा रहे हैं, खजाना खाली है, यहां तक कि आपातकालीन कोष जुटाने के लिए कराची बंदरगाह यूएई को सौंपने की नौबत आ गई है, लेकिन फौजी जनरलों के महल इतने आलीशान क्यों हैं, पाकिस्तान का पासपोर्ट इतना कमजोर क्यों है? 

अगर पाकिस्तानी कट्टरपंथ और उन्माद के बजाय सहिष्णुता और सद्भाव की नीति अपनाते तो उनका पासपोर्ट बहुत मजबूत स्थिति में होता। फिर उन्हें यूं अवैध ढंग से यूरोप भागना नहीं पड़ता। यह भारत मां को विभाजन की पीड़ा देने का परिणाम है। मां को सताकर संसार में कोई सुखी नहीं हुआ है।

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