राज्य सरकार, अदालत एंडोसल्फान पीड़ितों की दुर्दशा से बेखबर नहीं रह सकती: केरल उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय ने पीड़िता के इलाज के लिए परिवार द्वारा लिया गया ऋण माफ करने का आदेश दिया

मारिया की 11 साल की आयु में अप्रैल 2017 में मृत्यु हो गई
कोच्चि/भाषा। केरल उच्च न्यायालय ने एक एंडोसल्फान पीड़िता के इलाज के लिए उसके परिवार द्वारा लिया गया ऋण माफ करने का राज्य सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि न तो सरकार और न ही अदालत ऐसे लोगों तथा उनके रिश्वतेदारों की दुर्दशा से बेखबर रह सकती है।
एन मारिया केरल के कासरगोड जिले के 11 गांवों में 1978 से 2001 के बीच एंडोसल्फान के इस्तेमाल के कारण पीड़ित हुए हजारों लोगों में एक थी। उसका जन्म जून 2005 में हुआ था। उसका मस्तिष्क अल्प विकसित था और शरीर के कई अंगों के काम नहीं करने के कारण वह चलने-फिरने में भी असमर्थ थी।उसकी मां और नाना ने उसके उपचार के लिए कैनरा बैंक से तीन लाख रुपए और भारतीय स्टेट बैंक से 69,000 रुपए का ऋण लिया था। मारिया की 11 साल की आयु में अप्रैल 2017 में मृत्यु हो गई।
न्यायमूर्ति एजी अरुण ने कहा कि इस प्रकार के मामलों में पैतृक एवं सुरक्षात्मक भूमिका सिद्धांत लागू किया जाना चाहिए, जिसके तहत सरकार के पास नाबालिग, मानसिक रूप से अस्वस्थ, शारीरिक रूप से अक्षम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण असहाय हुए लोगों समेत उन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने की अंतर्निहित शक्ति और अधिकार हैं, जिनके पास स्वयं कार्य करने की कानूनी क्षमता नहीं है।
अदालत ने कहा कि इस मामले में कर्तव्य और जिम्मेदारी, शक्ति और अधिकार से जुड़े हुए हैं, ऐसे में राज्य ‘अतिरिक्त कदम उठाकर’ परिवार की मदद करने के लिए बाध्य है।
न्यायमूर्ति अरुण ने 13 दिसंबर के अपने आदेश में कहा, ‘कासरगोड में एंडोसल्फान पीड़ितों और उनके परिवारों की दुर्दशा से न तो राज्य सरकार और न ही यह अदालत बेखबर होने का दिखावा कर सकती है।’
न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि इस मामले में ऋण का अधिकतर हिस्सा 30 जून, 2011 के बाद लिया गया था और यह कर्ज बच्ची के नाना ने लिया था।
उसने कहा, ‘पीड़िता और उसके परिवार को हुई पीड़ा की तुलना में इस प्रकार की आपत्तियां तुच्छ हैं।’
मारिया के परिवार ने एंडोसल्फान पीड़ितों के लिए कर्ज माफी की सरकार की 2014 की योजना के तहत ऋण की बकाया राशि 2.03 लाख रुपए माफ करने के लिए कारसगोड जिलाधिकारी से अनुरोध किया था।
जिलाधिकारी ने बकाया ऋण माफ करने के निर्णय के बारे में सूचित करते हुए 2016 में एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी थी, लेकिन परिवार को 2017 में सूचित किया गया कि केवल 30 जून, 2011 से पहले लिए गए ऋण को ही योजना के तहत माफ किया जाएगा और इसलिए केवल 88,400 रुपये माफ किए जा सकते हैं।
इसके बाद पीड़िता के परिजन ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
About The Author
Related Posts
Latest News
