ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए 8 लाख का प्रावधान, फिर ढाई लाख पर आयकर वसूली क्यों?
न्यायालय ने मांगा सरकार से जवाब
याचिका में मांग की गई है कि जो लोग सालाना 8 लाख रुपए से कम कमाते हैं, उन्हें टैक्स के दायरे से भी बाहर किया जाए
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार से आयकर के संबंध में एक सवाल का जवाब मांगा है, जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। दरअसल न्यायालय में दाखिल एक याचिका में आयकर वसूली के प्रावधान को चुनौती दी गई है, जिसके मुताबिक बेस आय ढाई लाख रुपए निर्धारित है; वहीं, ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) आरक्षण देने के लिए सालाना 8 लाख रुपए का प्रावधान है।
याचिका में मांग की गई है कि जो लोग सालाना 8 लाख रुपए से कम कमाते हैं, उन्हें टैक्स के दायरे से भी बाहर किया जाए। याचिका में तर्क दिया गया है कि सरकार ईडब्ल्यूएस आरक्षण के प्रावधान में स्वयं मान रही है कि यह वर्ग कमजोर है। फिर वह उनसे आयकर कैसे वसूल सकती है?
हालांकि कोरोना महामारी से उपजीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आयकर स्लैब में बदलाव नहीं किया है, लेकिन आयकर दाताओं द्वारा यह मांग की जा रही है कि आगामी बजट में उन्हें राहत दी जाए।
हाल में उच्चतम न्यायालय ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण को कायम रखा, जिससे इस वर्ग में आने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि अब देखना यह होगा कि उक्त याचिका पर सरकार क्या जवाब देगी।
उल्लेखनीय है कि यह याचिका कुन्नूर श्रीनिवासन ने दायर की है। वे द्रमुक से जुड़े हैं। उन्होंने आयकर प्रावधान और ईडब्ल्यूएस आरक्षण नियमों में 'विसंगति' का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि एक ओर तो सरकार उन लोगों को कमजोर मान रही है, जिनकी सालाना कमाई 8 लाख रुपए से कम है। दूसरी ओर वह मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ढाई लाख रुपए या इससे ज्यादा कमाने वालों से आयकर ले रही है। इसे हटाया जाना चाहिए।
याचिका को लेकर न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति सत्य नारायण प्रसाद की बेंच ने सोमवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय और विभिन्न मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है। अब चार हफ्ते बाद इस पर सुनवाई होनी है। सरकार के जवाब के बाद इस पर स्थिति स्पष्ट होगी।
About The Author
Related Posts
Post Comment
Latest News

Comment List