पाप का मार्ग
धन अर्जित करने के लिए वे ही तरीके प्रशंसनीय हैं, जो नैतिक हैं
केरल में नरबलि का मामला हैरान करने वाला है। यूं तो दुनियाभर में अपराध और हत्याएं होती हैं। ऐसी हर घटना निंदनीय है, लेकिन जब इससे अंधविश्वास भी जुड़ जाए तो यह ज्यादा खतरनाक हो जाता है। क्या 21वीं सदी में भी ऐसे कृत्य हो सकते हैं? यह संतोषजनक है कि पुलिस ने मुख्य आरोपी शफी, मसाज थेरेपिस्ट भागवल सिंह और उसकी पत्नी लैला को गिरफ्तार कर लिया। वे दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भी भेज दिए गए, लेकिन सवाल है कि कोई व्यक्ति यह कैसे विश्वास कर लेता है कि मनुष्य की बलि दे देगा तो उस पर दैवीय कृपा बरसेगी, जिससे वह धनवान और रूपवान हो जाएगा? यह सरासर मूर्खता भी है।
धन अर्जित करने के लिए वे ही तरीके प्रशंसनीय हैं, जो नैतिक हैं। अनीतिपूर्वक कमाया गया धन कभी नहीं टिकता, और यह विश्वास करना उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के न्याय सिद्धांत को भी झुठलाना है कि अगर किसी मनुष्य की बलि दे दी तो वह उसे धनवान बना देगा। ईश्वर कभी नहीं चाहेगा कि उसके नाम पर मनुष्य की हत्या की जाए। ईश्वर की कृपा पाने के लिए किसी की जान लेने की नहीं, बल्कि जान बचाने की और जीवन संवारने की जरूरत है।
आज भी गांवों में होली और दीपावली पर कुछ शातिर लोग भोलीभाली जनता को धनवान बनने का झांसा देकर दूसरों का अहित करने के लिए उकसाते मिल जाते हैं। आए दिन समाचारपत्रों में ऐसी ख़बरें छपती रहती हैं कि फलां व्यक्ति ने धन प्राप्ति के लालच में आकर बच्चे की बलि दे दी। ऐसा करना न केवल नासमझी है, साथ ही घोर पाप भी है।
ईश्वर का मार्ग तप एवं नीति का मार्ग है। यहां काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे विकारों पर विजय प्राप्त करनी होती है। जीवमात्र के प्रति दया का भाव तथा स्वयं के अवगुणों से मुक्ति प्राप्त करनी होती है। तब मनुष्य आध्यात्मिकता के पथ पर आगे बढ़ता है, उसका कल्याण होता है। अपने लाभ के लिए दूसरे की हत्या पाप, अपराध और मानवता विरोधी कृत्य है। इससे कोई धन प्राप्ति नहीं होती, न जीवन संवरता है।
ऐसे कृत्य इहलोक और परलोक दोनों का नाश करते हैं। सबसे पहले विवेकपूर्ण ढंग से यह सोचना चाहिए कि अगर मनुष्य की हत्या करने से कोई सुख, समृद्धि, आरोग्य, वैभव आदि प्राप्त करता तो वे खूंखार हत्यारे सबसे ज्यादा सुखी और समृद्ध होते, जो जेलों में बंद हैं!
केरल का यह मामला अभी चर्चा में था कि गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में एक शख्स ने अंधविश्वास के वशीभूत होकर अपनी बेटी की जान ले ली। चौदह साल की बच्ची को तांत्रिक अनुष्ठान के नाम पर पीटा गया और भूखा रखा गया। सप्ताहभर में उसने दम तोड़ दिया।
इसी तरह 2018 में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का एक मामला चर्चा में रहा था, जब 24 अंगुलियों वाले एक बच्चे को देखकर तांत्रिक ने उसके रिश्तेदारों को झांसा दिया कि अगर वे इसकी बलि चढ़ा देंगे तो बहुत धनवान हो जाएंगे। उसके पिता को समय रहते तांत्रिक और रिश्तेदारों के मंसूबों की भनक लग गई, अन्यथा उसका जीवन संकट में घिर जाता। वह बच्चा दिनों कई दिनों तक डर के साए में रहा। उसका स्कूल जाना बंद हो गया। उस मासूम बालक की बलि देने के लिए रिश्तेदारों ने मुहूर्त तक निकलवा लिया था। बाद में पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो जान बची।
ऐसे कृत्यों से संबंधित व्यक्ति तो अपने प्राण गंवाता ही है, घटना को अंजाम देने वाले भी देर-सबेर पकड़ में आ जाते हैं। जिसका सदस्य दुनिया से चला गया, वे जीवनभर दुखी रहते हैं। उधर, अपराधी जेल जाते हैं, उनका परिवार भी दुखी रहता है। दोनों को ही कुछ नहीं मिलता। दोनों ही गंवाते हैं। इसलिए ऐसे झांसेबाज लोगों से सावधान रहें, जो किसी का अहित कर सुख, संपत्ति, संतान और सौभाग्य के सब्जबाग दिखाते हैं।
पृथ्वी पर सदैव सुखी या सदैव दुखी कोई नहीं रह सकता। जीवन में सुख-दुख आएंगे और जाएंगे। मनुष्य को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मनुष्य है। उसे अपने सुख की कल्पना कर क्रूरता और बर्बरता का कोई कार्य नहीं करना चाहिए। हमारे ऋषियों, संतों, दार्शनिकों ने विश्व के कल्याण में अपना कल्याण माना है। वही मार्ग हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है। पाप का मार्ग तो पतन की ओर ही लेकर जाता है।
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